22.5 हजार हेक्टेयर में श्री विधि से खेती का लक्ष्य
हजारीबाग : एक ओर किसान मानसून के आने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी विभाग भी किसानों के सहयोग के लिए सक्रिय हो चुका है। इस बार जिले में 22.5 हजार हेक्टेयर में धान की खेती श्री विधि से करने का लक्ष्य रखा गया है। विदित हो कि वर्ष 2011 में जिले में लगी धान के निर्धारित कुल लक्ष्य का 10 प्रतिशत में श्रीविधि से खेती करनी थी, इसे बढ़ाकर चालू वित्तीय वर्ष में 30 प्रतिशत कर दिया गया है। किसानों को राहत मिल सके, इसके लिए प्रति किलो हाईब्रिड धान पर 70 रुपये का अनुदान निर्धारित किया गया है। विभाग द्वारा बीज, खाद, प्रशिक्षण, कीटनाशक उपलब्ध करवाया जाएगा। सिंचाई के लिए अनुदान पर पंप सेट कोनोविंडर, नेफसेम स्पेशर, माइक्रो स्प्रिंकलर आदि कराया जा रहा है।
कहां कहां होती है श्रीविधि से खेती
श्री विधि से खेती में अधिक लाभ देख जिले के इचाक, दारू, बड़कागांव, कटकमसांडी, सदर, चुरचू, केरेडारी, कटकमदाग, विष्णुगढ़, टाटीझरिया, चौपारण, बरही आदि प्रखंडों के धान की खेती श्री विधि से की जा रही है। इसके लिए सभी पंचायतों में किसानों को एसआरआई तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए प्रखंडों में 20-25 कृषि मित्रों का गठन भी हो चुका है, जो प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं। गांव-गांव जाकर उक्त से खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
श्री विधि के क्या हैं फायदे
परंपरागत तरीके से होने वाली खेती की तुलना में श्रीविधि में दोगुणा फायदा होता है। कहने का तात्पर्य है कि कम बीज में ही अधिक भूमि पर खेती की जाती है। इसके अलावा खाद एवं दवा छिड़काव के समय उसका सही उपयोग होता है। इस तरह कृषक इससे कम पूंजी लगता कम समय एवं कम मेहनत से अधिक समृद्ध हो सकते हैं। इस विधि में रोपाई के समय कम मजदूर लगते हैं। इतना ही नहीं परंपरागत तरीके में उपज में आई कमी को इस विधि से पूरा की जा सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें परंपरागत विधि की तुलना में दस से पंद्रह दिन पूर्व ही खेत खाली हो जाता है, जिसके बाद किसान दूसरी फसल लगा सकते हैं।
किसानों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि
इस विधि से खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। जो किसान एक हेक्टेयर में इस विधि से धान की रोपाई करते हैं उन्हें सरकार द्वारा 1000 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा राजस्व के जिसे गांव में दस हेक्टेयर में इस तरीके से खेती होगी, उस गांव को अलग से प्रोत्साहित किया जाएगा।
क्या है श्रीविधि
खेती करने का आधुनिक तरीका है श्रीविधि। जिसमें मार्कर से लाईन खींच कर पौधा से पौधा एवं कतार से कतार की दूरी 10 इंच पर बिचड़े की रोपाई होती है। इसमें 8 से 10 दिन के बिचड़े को लगाया जाता है। रोपाई के 8 से 10 दिन बाद खरपतवार की निकाई-गोड़ाई के लिए वीडर चलाया जाता है। जिससे पौधे के जड़ों में ऑक्सीजन का संचार पूर्वक होता है और पौधों में हरियाली रहती है। खेत में जल जमाव की आवश्यकता नहीं है।
सिर्फ नमी रहने पर हो सकती है खेती
आज तक सभी किसान यह समझे आए हैं कि धान पानी में होने वाली फसल है, पर मजे की बात तो यह कि हाल के वैज्ञानिक शोधों द्वारा धान की खेती की परिभाषा बदल दी गई है। उनका कहना है कि धान पानी में होनी वाली फसल है, लेकिन खेत में पानी नमी मात्र रहने से भी धान की अच्छी पैदावार होता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ....
हॉली क्रॉस कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. एसएन चौधरी ने बताया कि बीजोपचार तकनीक, यानी बीज से बीज में फैलने वाले रोगों का रोकथाम के लिए भी किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके उपचार संबंधी कैमिकल्स में 90 प्रतिशत का छूट दी जा रही है। किसानों को मात्र दस प्रतिशत भुगतान करना है।
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