अनूठी पहलः टेस्ट ड्राइव की तरह पढ़ाई का फैसला
विद्यार्थी यहां दाखिले के बाद ट्रायल क्लास कर रहे हैं, फिर यह तय कर रहे हैं कि उन्हें आगे साइंस की पढ़ाई करनी है या आर्ट्स की।
विकास कुमार, हजारीबाग। गाड़ियों की खरीदारी के पहले टेस्ट ड्राइव होते सभी ने देखा होगा, लेकिन पढ़ाई की शुरुआत के पहले ‘टेस्ट स्टडी’ तो अपने आप में है। जी हां, यह पहल शुरू हुई है हजारीबाग में। सरकारी स्कूलों से बच्चे दूर जा रहे हैं और साइंस स्ट्रीम में संख्या तो और भी कम है। ऐसे में बच्चों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करने के लिए हजारीबाग के इचाक स्थित केएन प्लस टू हाईस्कूल के प्रबंधन ने की है।
यहां विद्यार्थी 11वीं कक्षा में दाखिले के बाद 15 दिन तक विज्ञान के ट्रायल क्लास कर रहे हैं, फिर यह तय कर रहे हैं कि उन्हें आगे साइंस की पढ़ाई करनी है या आर्ट्स की। यहां के विद्यार्थियों ने कला और वाणिज्य संकाय में प्रदेश स्तर पर नाम कमाया, लेकिन विज्ञान में इनकी रुचि कम होती जा रही है।
विज्ञान के प्रति उनकी रुचि बढ़ाने और कठिन विषय के रूप में उनका भय दूर करने के लिए इस हाईस्कूल के शिक्षकों ने नया रास्ता निकाला है। विद्यालय के शिक्षक नियमित तौर पर विज्ञान की स्पेशल कक्षाएं ले रहे हैं। विद्यार्थियों को भौतिकी व रसायन के नोट्स भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों के अंदर विज्ञान का हौवा रहता है कि इसका पाठ्यक्रम कठिन है। स्पेशल कक्षाओं के माध्यम से विद्यार्थियों के दिमाग में बैठे इस भ्रम को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
टॉपर छात्र भी ले रही है ट्रायल:
इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में ब्लॉक टॉपर रही प्रज्ञा कुमारी भी इस ट्रायल क्लास में खुद को आजमा रही है। मैट्रिक में प्रज्ञा ने 85 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं। प्रज्ञा का कहना है कि वह इन कक्षाओं से खुद को परख रही है कि आगे वह विज्ञान की पढ़ाई करने में सक्षम है या नहीं। इसके अलावा 70 से 80 फीसद अंक लाने वाले कई बच्चे भी स्पेशल क्लास में आ रहे हैं।
विज्ञान में नहीं बन रही बात:
इन सफलताओं के बावजूद विज्ञान में छात्रों का प्रदर्शन पिछड़ा ही रहा और एक तरह से यह पूरे राज्य की तस्वीर है। इस वर्ष इंटर साइंस में 52.36 फीसद छात्र ही पास हुए, जबकि कामर्स में 60.09 और आर्ट्स में करीब 70 प्रतिशत कामयाब हुए।
हर वर्ष विद्यालय ने हासिल की है उपलब्धि
इस वर्ष ही इंटर आट्र्स की परीक्षा में यहां मेघा कुमारी ने राज्य में तीसरा स्थान हासिल किया। 2014 में इसी विद्यालय के सोनू कुमार कॉमर्स में स्टेट टॉपर बने। 2016 में यहीं की छात्र ने उत्तरी छोटानागपुर मंडल में अव्वल स्थान हासिल किया।
जानिए, किसने, क्या; कहाः
विद्यार्थियों को ट्रायल क्लास के माध्यम से विज्ञान की बारीकियों को समझाया जा रहा है ताकि वे खुद तय कर सकें कि उन्हें विज्ञान पढ़ना है या कि नहीं।
-रवींद्र चौधरी, शिक्षक, केएन हाईस्कूल।
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ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे आगे की पढ़ाई विज्ञान में नहीं करना चाहते। इसकी एक बड़ी वजह से मैटिक स्तर पर विज्ञान की पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं होना है। स्कूल द्वारा विद्यार्थियों को विज्ञान से जोड़ने की पहल सराहनीय है। इस पर सरकार को भी सोचना होगा।
- डॉ. गंगाधर दुबे, सेवानिवृत विभागाध्यक्ष फिजिक्स, विनोवा भावे विश्वविद्यालय।
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