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बदलेगी टीबी के इलाज की परंपरागत पद्धति

हजारीबाग : देश में अब टीबी यक्ष्मा की इलाज पद्धति बदलने वाली है। आगामी एक जुलाई से टीबी के इलाज की प

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 May 2017 05:41 PM (IST)Updated: Sat, 27 May 2017 05:41 PM (IST)
बदलेगी टीबी के इलाज की परंपरागत पद्धति
बदलेगी टीबी के इलाज की परंपरागत पद्धति

हजारीबाग : देश में अब टीबी यक्ष्मा की इलाज पद्धति बदलने वाली है। आगामी एक जुलाई से टीबी के इलाज की पुरानी पद्धति की जगह अब 99 डॉट्स के तहत इलाज होगा। पुरानी पद्धति के उलट इस पद्धति में मरीज को प्रतिदिन दवा का सेवन करना पड़ता है। जबकि अभी तक एक दिन छोड़कर दवा खानी होती थी। कई बार लोग भूल जाने की वजह से दवा का कोर्स पूरा नहीं पाते थे।

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नई इलाज पद्धति को लागू करने हेतु लैब टेक्नीशियंस एवं मेडिकल आफिसर्स तथा ब्लाक स्तर तक के कर्मियों को ट्रे¨नग दी जानी है। इस क्रम में जिला ग्रामीण स्वास्थ्य समिति (यक्ष्मा) हजारीबाग द्वारा शुक्रवार को सदर अस्पताल के एएनएमटी स्कूल में जिले के विभिन्न सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से आए हुए 12 लैब टेक्नीशियंस को एक दिन का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. गोपाल दास ने किया। उन्होंने उपस्थित लोगों को टीबी की नई इलाज पद्धति के बारे में बताया। ज्ञात हो कि डॉ. गोपाल दास कुछ ही दिन पूर्व रांची से इस पद्धति की ट्रे¨नग लेकर लौटे हैं। ट्रे¨नग देने का काम दो वरीय यक्ष्मा लैब सुपरवाइजर राजेश कुमार (विष्णुगढ) एवं शंभु राय (सदर अस्पताल) द्वारा किया गया। शनिवार को जिले के मेडिकल आफिसर्स की ट्रे¨नग हुई। मेडिकल आफिसर्स की ट्रे¨नग आगामी 31 मई एवं एक व पांच जून को भी होगी।

99 डॉट्स के संबंध में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. गोपाल दास ने बताया कि नई इलाज पद्धति में पुरानी पद्धति के उलट दवा सेवन की संभावना 99 प्रतिशत होती है। इसमें मरीज को पहले 28 दिनों तक दवा का सेवन कराया जाएगा। फिर अगले 28 दिनों के लिए दवा का सेवन कराया जाएगा। पुन: इसी प्रकार से अगले चार महीनों तक मरीज को दवा का सेवन कराया जाएगा। पिछली पद्धति में दवा की रेसिस्टेंस एवं फेल्योर की संभावना ज्यादा होती थी। ज्ञात हो कि एचआइवी एवं टीबी दोनों के मरीजों का पूर्व से ही 99 डॉट्स पद्धति से इलाज किया जा रहा है।

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टीबी के इलाज की पद्धति को बदलने के लिए चल रहे ट्रे¨नग कार्यक्रम में शनिवार को जिले भर के 13 मेडिकल आफिसरों को ट्रे¨नग दी गई। सदर अस्पताल स्थित एएनएमटी स्कूल में डब्ल्यूएचओ के कंसलटेंट डॉ. राजीव पाठक एवं जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. गोपाल दास ने ट्रेनिंग दी। डॉ. राजीव पाठक ने बताया कि नई इलाज पद्धति डेली रेजिमन में मरीज के ठीक होने की संभावना 99 प्रतिशत तक होती है। इस पद्धति में दवा सहिया को न देकर मरीज के ही किसी निकटतम व्यक्ति को दी जाती है, जिससे रोगी की गोपनीयता बनी रहती है। ट्रे¨नग में सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार दास, जिला आरसी एच पदाधिकारी डॉ. बीपी सिन्हा, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. एसआर डांगी सहित डॉ. बीएन प्रसाद, डॉ. केपी ¨सह, डॉ. आरके जायसवाल, डॉ. मुकेश महतो, डीवीसी के डॉ. अभिषेक कुमार, डॉ. एके राजन, डॉ. मनितोष कुमार, डॉ. पुष्कर कुमार एवं अन्य डाक्टर उपस्थित थे। सिविल सर्जन ने बताया कि बाकी बचे हुए मेडिकल ऑफिसरों को भी आगामी एक व पांच जून को नए इलाज पद्धति की ट्रे¨नग दी जाएगी।


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