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समयबद्ध सेवा देने का है प्रावधान : उपायुक्त

हजारीबाग : समाहरणालय परिसर स्थित सूचना भवन सभागार में झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम-2011

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 07:17 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 07:17 PM (IST)

हजारीबाग : समाहरणालय परिसर स्थित सूचना भवन सभागार में झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम-2011 को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने कहा कि नागरिकों की जरूरतों को पूरा करना प्रशासन की प्रमुख जिम्मेवारी है। सेवा का अधिकार अधिनियम के माध्यम से सरकार नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में समयबद्ध सेवाएं उपलब्ध कराती है।

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उन्होंने कहा कि सेवा का अधिकार अधिनियम के माध्यम से नागरिकों के मूल अधिकार को संरक्षित करना है। अधिनियम के तहत नियत समयसीमा में नागरिकों के आवेदन के निष्पादन का प्रावधान बनाया है। इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा कार्मिक, कृषि पशुपालन तथा सहकारिता योजना एवं वित्त, वाणिज्य कर, महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण तथा ऊर्जा विभाग में सेवा का अधिकार अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिए ऑनलाइन सुविधा प्रदान की है। अन्य विभागों में भी ऑनलाइन सुविधा की तैयारी की जा रही है।

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आडियो वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी गई जानकारी

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के उप सचिव चन्द्रभूषण प्रसाद ने अधिनियम के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी। आडियो वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से उन्होंने इस अधिनियम के तहत सेवा प्रदाता द्वारा नागरिकों को निर्धारित समयावधि के अंदर सेवाएं प्रदान करने के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सेवाओं को वेबासाइट में उपलब्ध कराया गया है। हर कार्यालय को अपने विभाग से संबंधित सेवाएं नागरिकों को निर्धारित समयसीमा के अंदर उपलब्ध कराना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि मुख्यालय स्तर पर इस अधिनियम को आम जनता के बीच प्रचारित प्रसारित करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया गया है, किन्तु क्षेत्रीय स्तर पर प्रखंड, अनुमंडल एवं जिला में अधिनियम के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। अधिनियम के तहत सभी कार्यालयों में प्राधिकृत पदाधिकारी नामित किए गए हैं। इसके साथ ही प्रत्येक जिला मुख्यालय में अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए एक नोडल पदाधिकारी के मनोनयन की आवश्यकता है। इनके द्वारा नियमावली के कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण किया जाएगा। इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट पदाधिकारी द्वारा अपने किसी अधीनस्थ पदाधिकारी/कर्मचारी को आवेदनों को प्राप्त करने और अभिस्वीकृति देने के लिए प्राधिकृत करने की शक्ति होगी। नियम-3 के अधीन प्राधिकृत व्यक्ति विहित प्रपत्र में आवेदक को अभिस्वीकृति देगा। विलंब किये जाने की स्थिति में नाम निर्दिष्ट पदाधिकारी द्वारा दंड देने एवं जुर्माना वसूल करने का अधिकार होगा। नाम निर्दिष्ट पदाधिकारी आम जनता की सुविधा के लिए सेवाओं से संबंधित सभी प्रासंगिक सूचना नोटिस बोर्ड के माध्यम से प्रदर्शित करेंगे। इस अधिनियम के तहत अधिरोपित दंड की राशि संबंधित पदाधिकारी के वेतन से वसूली जाएगी। नाम निर्दिष्ट पदाधिकारी, प्रथम, द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी तथा पुर्नरीक्षण पदाधिकारी प्रारूप 03, 04, 05 एवं 06 में प्रकरणों का अभिलेख संधारित करेंगे।


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