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बदलाव की चाहत में बने सरकारी स्कूल के 'डॉक्टर'

शशिशेखर/मासूम, चौपारण डॉ. रामानुज, एमबीबीएस, जेनरल फिजिशियन। चौपारण में खुद की क्लिनिक और कारगर प

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 07:00 PM (IST)
बदलाव की चाहत में बने सरकारी स्कूल के 'डॉक्टर'

शशिशेखर/मासूम, चौपारण

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डॉ. रामानुज, एमबीबीएस, जेनरल फिजिशियन। चौपारण में खुद की क्लिनिक और कारगर प्रैक्टिस। इलाज बेहतर करते हैं और अब यह सिर्फ मरीजों तक सीमित नहीं रह गया। फिलहाल डॉक्टर स्कूल के इलाज में जुटे हैं। राज्य के अधिकांश स्कूलों में एक ही बीमारी है और वह है शिक्षकों की कमी। चौपारण में भी यही हाल है। ऐसे में डॉक्टर साहब ने इलाज करने की शुरुआत की और यहां के एकमात्र सरकारी प्लस टू स्कूल में मुफ्त पढ़ाना शुरू किया। उनके इस निर्णय से पूरा विद्यालय परिवार गदगद है। बच्चों की पढ़ाई भी पूरी हो जा रही है और वातावरण में भी सुधार दिखने लगा है। सो, इलाज कारगर दिशा में बढ़ता दिख रहा है।

जीटी रोड पर स्थित हजारीबाग जिले के सबसे बड़े प्रखंड चौपारण में प्रखंड के एकमात्र प्लस टू उच्च विद्यालय यानी केबीएसएस विद्यालय में विज्ञान विषय के शिक्षकों की घोर कमी है। ऐसे में प्रखंड के ताजपूर निवासी युवा चिकित्सक डा. रामानुज से रहा नहीं गया। उन्होंने स्कूल प्रबंधन से बात कर नि:शुल्क रूप से विज्ञान पढ़ाने का प्रस्ताव दिया। सभी राजी हो गए। अब सप्ताह के कुछ दिन उनकी कक्षा लगती है और इससे विद्यार्थियों में भी हर्ष का माहौल है। विद्यालय के प्राचार्य उत्तम कुमार, शिक्षक प्रमोद कुमार, जनार्दन वर्मा समेत प्रखंड के कई लोग इस पहल की मुक्त कंठ से सराहना करते नहीं थकते।

जानकारी के अनुसार डा. रामानुज ने आरएमसीएच से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। वह निजी प्रैक्टिस तो करते ही हैं साथ ही साथ अपनी जन्म भूमि यानी चौपारण को ही अपनी कर्मभूमि बनाने का इरादा लिए हुए हैं। क्षेत्र को सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से विकसित करने की चाहत ने उन्हें समाजसेवा से जोड़ दिया। फिलहाल वे विद्यालय में 10वीं के बच्चों को विज्ञान पढ़ा रहे हैं। इससे पूर्व प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय की बदहाली और अतिक्रमण की आशंका को देखते हुए उन्होंने विद्यालय को गोद लेकर सुधार का बीड़ा उठाया। इस क्रम में डा. रामानुज ने मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम में इस मामले को उठाया। इसका फलाफल भी सामने आया। स्कूल के वातावरण में गुणात्मक सुधार होता दिख रहा है।


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