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केरेडारी के प्राकृतिक धरोहरों का अस्तित्व खतरे में

फोटो - 11 केरेडारी का कोतीझरना फोटो - 12 - केरेडारी का घाघरा डैम - घाघरा डैम, कोतीझरना का नहीं

By Edited By: Published: Fri, 08 May 2015 09:17 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2015 09:17 PM (IST)
केरेडारी के प्राकृतिक धरोहरों का अस्तित्व खतरे में

फोटो - 11 केरेडारी का कोतीझरना

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फोटो - 12 - केरेडारी का घाघरा डैम

- घाघरा डैम, कोतीझरना का नहीं हो रहा समुचित उपयोग

- 1952 में बना था विख्यात घाघरा डैम

- विधायक निर्मला देवी के लिए होगी चुनौतियां

- प्रखंड के किसानों के लिए साबित हो सकता है वरदान

गेंदो वर्मा, केरेडारी : जिले के अति पिछड़े केरेडारी प्रखंड को प्रकृति से कई अनुपम सौगात प्राप्त हैं। लेकिन, विडंबना यह कि प्रखंड केप्राकृतिक धरोहरों का अस्तित्व इन दिनों खतरे में

है। वर्तमान समय में इन धरोहरों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है, जिसे संजोने की आवश्यकता है। यदि इन्हें वक्त रहते नहीं संजोया गया तो वो दिन दूर नहीं जब प्रखंड के लाखों किसान एक-एक दाने को मोहताज हो जाएंगे। प्रखंड के प्राकृतिक धरोहर हीं किसानों की तकदीर व केरेडारी की तस्वीर बदल सकती हैं। ऐसे प्राकृतिक धरोहरों में प्रखंड का विख्यात घाघरा डैम, कोती झरना, केरेडारी डैम, कुम्हरैया डैम, पेटो का बोरिंग, छतीसो माता झरना, लोचर का दोमोहान नहर शामिल हैं। इसके अलावा प्रखंड के ग्राम पचडा, जोरदाग, कंडोबर, बुंडू आदि गांवों में हो रहे अवैध रूप से कोयला खनन पर विराम लगाने की जरूरत है। इसे नया रुप देने में बड़कागाव विधायक निर्मला देवी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

- केरेडारी के प्राकृतिक धरोहरों की विशेषताएं-

1. घाघरा डैम - प्रखंड का विख्यात घाघरा डैम सिंचाई के लिए एक वृहद साधन हैं। प्रखंड के हेवई पंचायत में स्थित हैं। यदि इस डैम का र्जीणोद्धार किया जाय तो प्रखंड के उतरी पूर्वी क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के किसान के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। वैसे इस डैम का निर्माण 1952 में 80 लाख की लागत से किया गया था, जिससे केरेडारी व बडकागाव के दो गावों की 14 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती थी। लेकिन वर्तमान समय में डैम का बाध जर्जर अवस्था में होने के कारण पानी निकल जाता है। इसके गहरीकरण के लिए पूर्व सदर विधायक सौरभ नारायण सिंह, पंचायत चुनाव के पश्चात केरेडारी प्रमुख संजू देवी, वर्ष 2014 में पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने तत्कालीन प्रधान सचिव सजल चक्रवर्ती के माध्यम से पहल की थी। लेकिन सभी प्रयास विफल साबित हुए। परिणाम डैम का बाध व फाटक की स्थिति अति जर्जर हो गई है।

2. कोती झरना -

प्रखंड का कोती झरना केरेडारी के दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में स्थित हैं। यह झरना प्रकृति की ओर से केरेडारी के लिए अनुपम सौगात है। झरने की खासियत है कि गर्मी के दिनों में यहा का जल स्तर बढ़ जाता है। इसकी भी स्थिति अच्छी नहीं हैं। वर्ष 2006 में तत्कालीन विधायक लोकनाथ महतो के प्रयास से पाइप लाइन के द्वारा बुंडू गाव तक करीब सात किलोमीटर तक पानी लाया गया था, जिसकी वर्तमान में स्थिति कुछ भी ठीक नहीं हैं। इसको मरम्मत व विस्तार की सख्त आवश्यकता है।

केरेडारी डैम -

प्रखंड मुख्यालय से सटा हुआ केरेडारी डैम में हमेशा जल स्तर उपर रहता है। लेकिन यह डैम पूरी तरह अनदेखी के कारण इसके पानी का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस ओर अधिकारियों एवं सिंचाई विभाग को ध्यान देने की जरूरत हैं।

4. कुम्हरैया डैम -

सलगा पंचायत का कुम्हरैया डैम से भी सलगा, कराली, केरेडारी

समेत कई पंचायतों के किसानों को सिंचाई का पानी प्राप्त होता है। यहीं कारण है कि सलगा, कुठान घुटू गाव में सैकड़ों किसान अपनी जीविका सब्जी आदि की पैदावर कर किया करते हैं। इसका भी चैनल कई वर्षो से खराब पड़ा हैं।

5. लोचर का दो मोहान नहर -

केरेडारी के कोदवे और लोचर गाव का दो मोहान नाम से विख्यात नहर की लंबाई काफी अधिक है। इस नहर की मरम्मत का कार्य पक्कीकरण के रूप में किया जाता तो हजारों किसानों की तकदीर बदल सकती है। वैसे उक्त दोनों गाव के कई किसानों को पुरस्कृत किया जा चुका हैं।


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