लाईव रिपोर्टिग के प्रतिमान थे फणीश्वर नाथ रेणु
प्रमोद, हजारीबाग : आंचलिक कथा सम्राट फणीश्वरनाथ रेणु न सिर्फ उपन्यास और कहानियों के बल्कि पत्रकारिता
प्रमोद, हजारीबाग : आंचलिक कथा सम्राट फणीश्वरनाथ रेणु न सिर्फ उपन्यास और कहानियों के बल्कि पत्रकारिता जगत के एक सशक्त हस्ताक्षर थे। लाईव रिपोर्टिग का दूसरा मिसाल कहीं और नहीं मिलता जितना कि स्व. रेणु के रिर्पोताजों और समाचार संकलन की विद्याओं में मिलता है। 18-19 मई 1965 में जब हजारीबाग में बिहार प्रादेशिक कांग्रेस का सम्मेलन हुआ था उसकी रिपोर्टिग स्वयं रेणु जी ने की थी। उस सम्मेलन में तत्कालीन केंद्रीय एवं सूचना प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी ने शिरकत की थी। पटना से साप्ताहिक दिनमान के प्रतिनिधि के रूप में रेणु जी ने उस सम्मेलन की बारीकियों की विवेचना की थी। दल के भीतर और बाहर शीर्षक से छपी रिपोर्ट ने पूरे राजनीतिक जगत में तहलका मचा दिया था। स्वयं इंदिरा गांधी ने उस रिपोर्टिग की मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी।
स्व. रेणु की रचनाओं में कनहरी की हरी वादियों की बखूबी चर्चा हुई है। शहर के सबसे प्राचीन मिष्ठान दुकान का भी जिक्र किया है जहां की मिठाई उन्हें काफी पंसद थी। हजारीबाग से उनका गहरा लगाव था। इसकी वजह कोर्रा मुहल्ले में उनका ससुराल होना था। चारू नामक भवन में आज भी रेणु जी के ससुराल के परिजन निवास करते हैं। स्व. लतिका रेणु की स्मृतियां यहां आज भी जीवंत हैं।
शहर की झील, नेशनल पार्क, सर्पिली सड़के उन्हें खूब आकर्षित करती थीं। गुलमोहर, अमलतास, पलाश के फूल उनकी रचनाशीलता को उर्जा प्रदान करते थे। रेणु जी की रचनाओं में कांग्रेसी नेता केबी सहाय तथा विपक्ष के नेता कामाख्या नारायण सिंह की भी उल्लेख किया गया है।
युवा लेखक तथा रेणु की रचनाओं के विशेषज्ञ डॉ. भारत यायावर की संपादित पुस्तक ऋण जल धन जल में उपरोक्त तमाम तथ्यों का वर्ण मिलता है।