हर बूथ पर एक खास मतदान की दे रहे थे प्रेरणा
विकास कुमार/प्रमोद , हजारीबाग : 17 अप्रैल का दिन। लोकतंत्र के महार्पव में शामिल होने मतदाताओं का सैलाब बूथों पर पहुंच रहा था। इसमें बूढ़े, युवक सभी शामिल थे। पर हर बूथ पर ऐसे शख्स भी थे जो सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। कहीं उसकी उम्र 105 वर्ष की थी तो दूसरे बूथ पर तीस युवक का विकलांग युवक तो कहीं अपने परिजनों की गोद में बैठा हुआ व्यक्ति। कोई वोटर एक पैर से निश्शक्त था जो बमुश्किल बैसाखी के सहारे पहुंचा था। हर बूथ पर कहीं न कहीं ऐसा शख्स जरूर दिख रहा था, जो आम मतदाताओं के लिए प्ररेणा का स्रोत बना था। सभी की निगाहें उसी पर टिकी थी। उनके दिल में न कोई लोभ न लालच। सिर्फ एक ही ख्वाहिश कि मेरा जम्हूरियत मजबूत बने। वे किसी भी रूप में बूथ मैनेजमेंट का हिस्सा नहीं थे न तो हिस्सेदार थे। उन्हें न रोजगार चाहिए न ठेकेदारी। बस एक ही रट थी वोट जरूर दें।
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अपने बेटे के गोद में आई थी 105 वर्षीय यशोदा : फोटो-105
हजारीबाग के जैन मीडिल स्कूल में अपने बेटे के गोद में 105 वर्षीय यशोदा देवी वोट देने आई थी। वोट देने के बाद बताया कि यह मेरा हर है और मैं 25 वर्ष की उम्र से वोट करती आ रही हूं।
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80 वर्षीय हेमनी देवी पहुंची अपनी पोती के साथ : फोटो- 109
बानादाग के बूथ संख्या 111 पर अपनी 10 वर्षीय पोती के साथ पहुंची हेमनी देवी ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। लेकिन वोट देने को लेकर उनमें गजब का उत्साह था। बोली बाबू वोट देंगे तभी न देश आगे बढ़ेगा।
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दोनों हाथ कटे हुए फिर भी माथूर का जोश था बरकरार : फोटो- 6
बरही : बरही के बूथ संख्या 303 पर 55 वर्षीय मथूरा ठाकुर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। दोनों हाथ से लाचार मथूरा ने बताया कि उनके हाथ नहीं है तो क्या हुआ लेकिन जब्जा सबसे ज्यादा है। मेरे वोट से लोकतंत्र मजबूत होगा यही सोच लेकर मैं मतदान करने आया हूं।