बंध्याकरण के बावजूद महिला बनीं मां, मुआवजे की मांग
गुमला : स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों द्वारा बंध्याकरण किए जाने के बावजूद गर्भधारण कर मां बनने का मा
गुमला : स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों द्वारा बंध्याकरण किए जाने के बावजूद गर्भधारण कर मां बनने का मामला प्रकाश में आया है। बुधवार को मामले को लेकर जिला परिषद उपाध्यक्ष केडीएन ¨सह ने सिविल सर्जन डॉ. जेपी सांगा से मुलाकात करते हुए बंध्याकरण के बावजूद मां बननेवाली महिला को प्रावधान के तहत मुआवजा दिलाने की मांग की। उन्होंने बताया कि गुमला थाना क्षेत्र के तर्री गांव निवासी लगन ¨सह के पुत्री रश्मि शाही का बंध्याकरण 18 नवंबर 2013 को हुआ था। सात फरवरी 2015 को जांच कराने पर पता चला कि वह मां बननेवाली है। पहले से दो बच्चे की मां रश्मि बच्चा जनना नहीं चाहती थी। इस कारण बंध्याकरण कराया था। रश्मि द्वारा तीसरे बच्ची को जन्म देने के उपरांत 2015 को सिविल सर्जन के यहां मुआवजा की मांग के लिए आवेदन दिया गया था। एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद मुआवजा नहीं मिला। सिविल सर्जन द्वारा संबंधित कागजातों की जांच कराने के उपरांत त्वरित मुआवजा देने की बात कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि बंध्याकरण के बावजूद नौ फीसदी मां बनने की संभावना रहती है। सरकार द्वारा मुआवजा देने का प्रावधान है। उपाध्यक्ष ने जिला में चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे भी सिविल सर्जन से विस्तृत जानकारी ली। अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सकों की संख्या, सुविधाओं आदि के बारे में विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने कहा कि कि लोगों को अच्छी तरह स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिले यह सुनिश्चित कराएं।