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आदिवासी संस्कृति क्षेत्र की पहचान : विनोद किस्फोट्टा

By Edited By: Published: Sun, 28 Sep 2014 08:27 PM (IST)Updated: Sun, 28 Sep 2014 08:27 PM (IST)
आदिवासी संस्कृति क्षेत्र की पहचान : विनोद किस्फोट्टा

चैनपुर : आदिवासी समाज की सभ्यता व संस्कृति इस क्षेत्र की मूल पहचान है। संस्कृति की रक्षा व संव‌र्द्धन लोगों का दायित्व है। रविवार को कटकाही पेरिस में आयोजित आदिवासी सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए करमा नृत्य प्रतियोगिता विनोद किस्पोट्टा ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अपने समाज को एकजुट करने की जरुरत है। वहीं नशापान से दूर रहकर क्षेत्र के विकास में योगदान देने के लिए आगे आने की बात कही। फादर आनंद तिग्गा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति व परंपरा आपसी एकजुटता की सीख देती है। कहा कि एक साजिश के तहत आदिवासी संस्कृति को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। आर्थिक व सामाजिक उन्नति के नाम पर धर्म परिवर्तन की साजिश की जा रही है। उन्होंने लोगों को ऐस लोगों से सावधान रहने की बात कही। कार्यक्रम में जीप सदस्य अलवीना मिंज, मुखिया एमरेंसिया कुजूर, क्रेसेंसिया कुजूर ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में 26गांवों से आए नृत्य मंडलियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मंडलियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर फादर मिलक्योर, फादर कोसमोस, फादर रेमिस, फादर जेवियर, फान जान, सिस्टर स्टेला, सिस्टर सिसिलिया सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।


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