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बाल श्रम कानून का कड़ाई से पालन करें अधिकारी : डीसी

By Edited By: Published: Fri, 18 Jul 2014 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jul 2014 06:54 PM (IST)
बाल श्रम कानून का कड़ाई से पालन करें अधिकारी : डीसी

गुमला : पालकोट प्रखंड के बंगरू पंचायत में पलायन की घटना के बाद उपायुक्त वीणा श्रीवास्तव ने बच्चों का पलायन रोकने के लिए नियमों का कड़ाई से अनुपालन करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। जारी निर्देश में कहा है कि बंगरू में कई मामले ऐसे पाए गए है, जिसमें अभिभावक स्वेच्छा से अपने बच्चों को काम के लिए भेजते हैं। बच्चों को श्रमसाध्य में लगाना दंडनीय अपराध है। इसे रोकने के लिए एक समेकित कार्य योजना की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में शून्य से छह वर्ष के बच्चों का शिशु पंजी में नामांकन करवाना सुनिश्चित करें। छह से 14 वर्ष के बच्चों का प्राथमिक विद्यालय के बाल पंजी में नामांकन भी सुनिश्चित किया जाएं। साथ ही 11 से 18 वर्ष के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित कर किए गए कार्याें की सूचना जिला को सुनिश्चित कराएं। इसके अलावे शून्य से छह वर्ष के बच्चे यदि 15 दिनों से ज्यादा आंगनबाड़ी में अनुपस्थित रहते हैं तो सेविका बच्चे के घर जाएं। अनुपस्थिति का ठोस कारण का पता नहीं चलने पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को सूचित करें। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी जांच कर पता करें कि कहीं बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार तो नहीं हुए हैं। सही पाए जाने पर इसकी सूचना तुरंत संबंधित थाना प्रभारी को दें। इसके अलावा सेविका व प्राथमिक विद्यालय की शिक्षकों को हर वर्ष शिशु नामांकन पंजी व बाल पंजी का मिलान करें और हर वर्ष शिशु पंजीकरण का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट संबंधित विभाग को संधारण को दें।

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बच्चों का विद्यालय में नामांकन करने के लिए पीले रंग का आमंत्रण कार्ड छापाकर अभिभावकों तक पहुंचाएं और इसकी सूची तैयार रखें। बच्चों के अभिभावक को पंद्रह दिनों के अंदर विद्यालय आने की सूचना दें और जिला शिक्षा अधीक्षक को स्थिति से अवगत कराएंगे। साथ ही, अभिभावकों को तीस दिन का समय देते हुए अनुपालन नहीं होने पर आरटीई व बाल श्रम अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई करने संबंधी जानकारी दी जाएं। 45 दिन बाद भी बच्चा विद्यालय में उपस्थित नहीं होता है तो बच्चों की सूची जिला शिक्षा अधीक्षक संबंधित थाना प्रभारी को सनहा दर्ज कराने के लिए उपलब्ध कराएं। बाहर जाने वाले बच्चे यदि लौट आते हैं तो उनका नामांकन विद्यालय प्रबंधन की ओर से किया जाएगा। इसकी सूचना जिला शिक्षा अधीक्षक को दी जाएगी। लड़कियों को रेमेडियल कोर्स कराकर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन कराया जाएगा।


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