हडि़या व शराब की बिक्री पर नहीं लग पा रही रोक
गुमला : दिन हो या रात, सुबह हो या शाम, सड़कों पर आए दिन पीकर सड़कों के किनारे मदहोश दिखाई पड़ते हैं। गुमला में झारखंडी संस्कृति के दौरान हडि़या को प्रसाद के रूप में सेवन करने की परंपरा रही है, लेकिन अब लोग इसका व्यवसाय भी करने लगे हैं। खासकर किशोर वर्ग इसके चपेट में आने लगे हैं। इस जिला में हडि़या व दारु की बिक्री एक व्यवसाय का रूप ले लिया है। घर-घर में लोग हडि़या एवं महुआ शराबबनाकर सड़क किनारे बेचने का काम करते हैं। नतीजतन स्कूल और कालेजों के छात्र भी इसके सेवन कर रहे हैं। जिसका दुष्परिणाम भी दिखाई पड़ता है। पहली बात यह कि हडि़या दारू के सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है वहीं युवाओं की मानसिकता विकृत होती जा रही है। विकृत मानसिकता का ही यह नतीजा होता है कि युवा वर्ग या तो अपराध का मार्ग पकड़ लेता है या फिर छेड़छाड़ की घटना पर उतारू हो जाता है। जगह-जगह होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं से लोग परेशान हो उठते हैं। खास कर ज्यादा परेशानियां युवतियों और महिलाओं को हो रहा है। अब सामाजिक स्तर पर भी हडि़या दारु की बिक्री का मुखालफत होने लगा है। जगह-जगह सामाजिक बैठकें होनी शुरू हो गई है। कुछ जगहों पर हडि़या दारु बनाने के बर्तनों को तोड़ने फोड़ने का काम भी किया गया है। फिर भी इसकी बिक्री पर असर नहीं पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जा रही है लेकिन सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए।