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अंधविश्वास को समाप्त करने की जरूरत : डीसी

संवाद सूत्र, गोड्डा : विश्व आयोडीन दिवस पर शुक्रवार को सिविल सर्जन सभागार में बीटीटी का एक दिवसीय का

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 01:00 AM (IST)
अंधविश्वास को समाप्त करने की जरूरत : डीसी

संवाद सूत्र, गोड्डा : विश्व आयोडीन दिवस पर शुक्रवार को सिविल सर्जन सभागार में बीटीटी का एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें ग्रामीणों को आयोडीन युक्त नमक खाने को ले जागरूक किया गया। मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उपायुक्त अरविंद कुमार उपस्थित थे। उन्होंने अपने संबोधन में आयोडीन के इस्तेमाल से होनेवाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में आयोडीन नमक का लोग इस्तेमाल नहीं करते। उनके अंधविश्वास को समाप्त करने की जरूरत है। यह कार्य स्वास्थ्य से जुड़े कर्मी ही कर सकते हैं। अब भी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के बीमारी के लिए लोग तरह-तरह के नुस्खों का इस्तेमाल करते हैं। जो आगे चलकर उन्हें हानि पहुंचाता है। इसलिए जरूरी है कि अंधविश्वास को समाप्त करें। उन्होंने भाषा पर जोर देते हुए कहा कि जो जिस क्षेत्र के कर्मी हैं वे वहां के क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करें। जिससे लोग आसानी से जागरूक हो सके। उदाहरण देते हुए बताया कि सुंदरपहाड़ी और बोआरीजोर जैसे आदिवासी बहुल प्रखंडों में कर्मचारी संताली, पहाड़िया भाषा का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि भाषा एक दूसरे को जोड़ने का माध्यम है। वहीं, सिविल सर्जन डॉ. प्रवीण कुमार राम ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक खाने से घेघा रोग नहीं होता है। प्रत्येक दिन आयोडीन युक्त नमक खाने से 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की पूर्ति होती है। इसलिए इसे नमक में मिलाया गया है। यह रोग अधिकतर चालीस से अधिक उम्र के लोगों में होता है। वहीं बच्चों में इसके कमी से बहरापन, गूंगापन, खड़े रहना, चलने में कमजोरी आदि है। अपर चिकित्सा मुख्य पदाधिकारी डॉ. वनदेवी झा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में इसके कमी से गर्भपात, मृत शिशु का जन्म होना, मानसिक कमजोरी, मंदबुद्धि तथा विकलांग बच्चा जन्म लेना आदि है। दिन भर चले इस कार्यशाला में लोगों में जागरूकता फैलाने के बारे में बताया गया। मौके पर यूनिसेफ के जिला समन्वयक धनंजय त्रिवेदी, डीपीसी रणधीर कुमार, डीपीएम प्रदीप कुमार, सुबोध कुमार, सुनील कुमार, बीटीटी आजाद अहमद आदि मौजूद थे।


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