खंडर में तब्दील हुआ भोला कल्याण छात्रावास
गोड्डा : गुरु-शिष्यों के आदर्श संबंधों का प्रतीक भोला कल्याण छात्रावास प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज
गोड्डा : गुरु-शिष्यों के आदर्श संबंधों का प्रतीक भोला कल्याण छात्रावास प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज खंडहर में तब्दील हो गया है। कभी यह छात्रावास छात्र एवं शिक्षकों से भरा रहता था। लेकिन आज यहां के कमरों में छात्र एवं शिक्षकों के रहने की बात तो दूर है। कमरे की खिड़की तक गायब हैं।
सुस्ती पंचायत के पूर्व मुखिया पुरुषोत्तम झा का कहना है कि इस छात्रावास की स्थापना 1950 में की गई थी। यहां छात्र व शिक्षक साथ रहकर अध्ययन, अध्यापन के अलावा सामूहिक पाकशाला में बैठकर भोजन करते थे और यहां की पढ़ाई दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी। इतना ही नहीं यहां रहने वाले शिक्षक दरभंगा, भागलपुर, मधेपुरा, पाकुड़ सहित दर्जनों जिले के रहते थे। यहां पर रहने वाले शिक्षक एवं छात्र का संबंध इतना पवित्र था कि शिक्षक बच्चों को ट्यिूशन नहीं पढ़ाते थे। इस छात्रावास में रहने वाले कई छात्र आज देश-विदेश में ऊंचे पदों पर आसीन हैं। लेकिन आश्चर्य है कि जिस छात्रावास ने इस जिले का नाम रोशन किया आज वह छात्रावास खुद अपने नाम के लिए मोहताज है। आज भी बूढ़े-पुराने लोगों को इसका अतीत बयां करते-करते आंखों में आंसू आ जाते हैं। किंकर चौहान, मुन्ना चौधरी, राजेश झा आदि ने सरकार से पुराने अतीत को लौटाने की गुहार लगाई है।
जिले के पथरगामा- बसंतराय सीमा क्षेत्र में सुस्ती पंचायत में अवस्थित ख्याति प्राप्त भोला कल्याण छात्रावास प्रशासनिक उदासीनता के कारण खंडहर में तब्दील हो गया है। इसी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।