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जान हथेली पर रख कार्य करने की विवशता

गोड्डा : खनिज राजस्व देने में अव्वल जिले का खनन कार्यालय जर्जर हो चुकी है। कार्यालय कर्मी जान हथेली

By Edited By: Published: Sat, 08 Nov 2014 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 08 Nov 2014 01:02 AM (IST)
जान हथेली पर रख कार्य करने की विवशता

गोड्डा : खनिज राजस्व देने में अव्वल जिले का खनन कार्यालय जर्जर हो चुकी है। कार्यालय कर्मी जान हथेली पर रख कार्य करने को विवश हैं। आवंटन के अभाव में निर्माणाधीन कार्यालय भवन सात वर्ष में भी पूरा नहीं हो सका है। प्रशासनिक स्तर से आवंटन के लिए अनेकों बार पत्राचार करने के बावजूद झारखंड सरकार के खान निदेशालय द्वारा भवन निर्माण मद में बकाया राशि का आवंटन नहीं भेजा जा रहा है।

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आवंटन के अभाव में अधूरा पड़े कार्यालय भवन का निर्माण कार्य अप्रैल 2010 से ही बंद है। निर्माण वर्ष 2007 में शुरू हुआ था। कार्यालय भवन निर्माण के लिए 46 लाख पैंतीस हजार पांच सौ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। खान निदेशालय द्वारा शुरू में इस मद में तीस लाख रुपये आवंटित किया गया था। उसके बाद कोई राशि आवंटित नहीं किया गया है। निर्माण कार्य विशेष प्रमंडल द्वारा कराया जा रहा है।

आवंटित राशि समाप्त हो जाने के बाद कार्यकारी एजेंसी ने हाथ खड़ा कर दिया है। ऐसी स्थिति में करीब साढ़े चार वर्ष से भवन निर्माण कार्य ठप पड़ा है। उपायुक्त के स्तर से राशि आवंटित करने के लिए खान विभाग के सचिव को अनेकों बार पत्र लिखे जाने के बाद भी राशि आवंटित नहीं किया गया है।

उधर शहर के बाबूपाड़ा मुहल्ला में भाड़ा के मकान में चल रहे खनन विभाग के कार्यालय भवन की स्थिति दिन प्रतिदिन काफी जर्जर होती जा रही है। छत के सिलिंग का टुकड़ा झड़ कर गिरता रहता है। कार्यालय के प्रधान लिपिक सुधीर कुमार की मानें तो कार्यालय में काम करने के दौरान कर्मियों की जान सांसत में अटकी रहती है। कभी भी छत से टुकड़ा झड़ जाता है। कर्मचारियों में हर हमेशा भय का वातावरण बना रहता है। बरसात में कार्यालय भवन चूता है, जिससे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी खराब होने की संभावना बनी हुई है।

जर्जर भवन खाली कराने के लिए मकान मालिक भी लगा रहे गुहार :

कार्यालय भवन जिस मकान में किराया में चल रहा है, उसके मकान मालिक द्वारा भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए 2010 से ही मकान खाली करने कहा जा रहा है। मकान मालिक द्वारा लिख कर दे दिया गया है कि जर्जर भवन के कारण किसी तरह के जान माल का नुकसान होने पर मकान मालिक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

उधर निर्माण प्रक्रिया के लंबा खींचने के कारण कार्यकारी एजेंसी विशेष प्रमंडल द्वारा पुनरीक्षित प्राक्कलन तैयार किया गया है। सूत्रों ने बताया कि प्राक्कलन बढ़कर करीब 52 लाख रुपये हो गया है। इसलिए अधूरा भवन पूरा कराने के लिए और 22 लाख रुपये की आवश्यकता है।


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