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रेफर का विशेषज्ञ गोड्डा का सदर अस्पताल

संजीव , गोड्डा : जख्मी हो या कोई हड्डी चटक गयी हो बेहतर इलाज की कामना लिए मरीज सदर अस्पताल पहुंचते ह

By Edited By: Published: Sat, 08 Nov 2014 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 08 Nov 2014 01:02 AM (IST)

संजीव , गोड्डा : जख्मी हो या कोई हड्डी चटक गयी हो बेहतर इलाज की कामना लिए मरीज सदर अस्पताल पहुंचते हैं। लेकिन इलाज के नाम पर उन्हें रेफर का पर्चा थमा दिया जाता। मामूली मरहम पट्टी के अलावा मरीजों को कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाता। सदर अस्पताल को किसी चिकित्सा में अगर महारथ हासिल है तो वह रेफर है। चिकित्सक कोई रिस्क नहीं लेते। संसाधन की कमी का रोना रोकर ये अपना पिंड छुड़ा लेते हैं। हाल यह है कि स्वस्थ्य व सुखी झारखंड का सपना गोड्डा आकर दम तोड़ देती है। बेहतर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। लेकिन इसका कोई फायदा गोड्डा को उलब्ध नहीं हो पा रहा है। कई गरीब मरीज बाहर नहीं जा पाने की स्थिति में मौत के मुंह में समा जाते हैं। सदर अस्पताल की बात करें तो सदर अस्पताल का दर्जा मिले वर्षो बीत गए लेकिन उसके अनुरूप अबतक संसाधन मुहैया नहीं कराया जा सका है। तकरीबन 40 वर्ष पुरानी शल्य चिकित्सा कक्ष में इतनी सुविधा नहीं कि वहां किसी प्रकार की शल्य क्रिया पूरी की जा सके। पिछले वर्ष मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए रांची से पहुंची चिकित्सकों की टीम ने सदर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर को अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके लिए महागामा के रेफरल अस्पताल का सहारा लेना पड़ा था। यही स्थिति एक्स रे मशीन की है। वर्षो पुरानी इस मशीन की तस्वीर इतनी साफ नहीं होती कि चिकित्सक किसी निष्कर्ष पर पहुंच सके। लिहाजा मरीजों को बाहर के एक्स रे का सहारा लेना पड़ता है। जहां मनमानी कीमत वसूली जाती है।

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चिकित्सकों की कमी से हाल बेहाल

संसाधन की कमी के अलावा चिकित्सकों की कमी का दंश भी झेलना पड़ रहा है। 101 चिकित्सकों के स्वीकृत पद के विरुद्ध महज 52 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। सबसे बुरी स्थिति महिला मरीजों की है। तकरीबन साढ़े छह लाख महिला आबादीवाले इस जिले में मात्र सात महिला चिकित्सक हैं। जो तकरीबन एक लाख की आबादी पर एक चिकित्सक का आंकड़ा आता है। इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का रोना है। महिला स्वास्थ्य परिदर्शिका के 37 स्वीकृत पद के विरुद्ध महज सात ही कार्यरत हैं। महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता 214 की जगह 99, प्रयोगशाला प्रावैधिक 20 की जगह तीन, परिधाबक 17 की जगह दो, अचिकित्सा सहायक 39 की जगह 14 कार्यरत हैं।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. सीकेशाही का कहना है कि संसाधन के अनुरूप बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। चिकित्सकों की कमी के बावजूद सभी स्वास्थ्य केंद्र व उपकेंद्र तक उनकी सेवा उपलब्ध करायी जाती है। सौ सैय्यावाले अस्पताल भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उसके पूरा होते ही कई समस्याओं का स्वत: समाधान हो जाएगा।


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