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डेढ़ लाख की आबादी पर विस्थापन का खतरा

By Edited By: Published: Mon, 18 Apr 2011 08:13 PM (IST)Updated: Thu, 17 Nov 2011 04:54 PM (IST)
डेढ़ लाख की आबादी पर विस्थापन का खतरा

गिरिडीह, जागरण कार्यालय : उच्च न्यायालय के आदेश और सीसीएल के फरमान ने कोलियरी क्षेत्र के करीब डेढ़ लाख लोगों की चैन छीन ली है। पीढ़ी दर पीढ़ी गुजरने के बाद अब उन्हें उजाड़ने की हो रही पहल से उनमें भारी आक्रोश है। जनप्रतिनिधि भी विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।

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प्रभावित लोग जमीन की लीज खत्म हो जाने की बात कहते हुए सीसीएल की जमीन पर हक जताने को ही अवैध करार दे रहे हैं। लोगों में सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश पनप रहा है जो कभी भी आंदोलन का रुख ले सकता है।

हाईकोर्ट के आदेश पर सक्रिय हुआ प्रबंधन

उच्च न्यायालय ने सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल समेत अन्य कंपनियों को अपनी जमीन व आवास को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का निर्देश दिया है। इस निर्देश का पालन करते हुए गिरिडीह परियोजना पदाधिकारी जेएन गुप्ता ने सीसीएल आवासों और जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करने की पहल तेज कर दी है। सीसीएल क्वार्टरों में अवैध रूप से रह रहे लोगों को नोटिस जारी किया गया है जबकि उसकी जमीन पर बसे लोगों को अखबारों के माध्यम से इसे खाली करने की सूचना दी गयी है।

कहां जायेंगे, क्या होगा?

प्रबंधन की इस कार्रवाई से कोलियरी क्षेत्र में पड़नेवाले करीब 70 गांवों के उजड़ने की संभावना है जिससे करीब एक लाख लोग विस्थापित हो जाएंगे। शहरी क्षेत्र के कई मोहल्ले भी सीसीएल की जमीन पर ही बसे हैं। इन मोहल्ले की आबादी करीब 50 हजार बतायी जाती है। इन सभी को एक ही चिंता सता ही है कि उनकी कई पीढ़ी इसी जमीन पर गुजर गयी। अब वे कहां जाएंगे..क्या करेंगे?

क्षेत्र के मोहन दास, करीम मियां, खेमिया देवी, रमेश प्रसाद, दिनेश कुमार, बंधन दास आदि ने बताया कि उनके पूर्वजों ने कंपनी को कोयला निकालने के लिए अपनी जमीन लीज पर दी थी। इसकी अवधि वर्षों पूर्व समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी सीसीएल प्रबंधन इस जमीन पर अपना हक जता रहा है। ऐसे में अब वे लोग कहां जाएंगे। सीसीएल प्रबंधन आजीवन लीज रहने की बात कहता है, लेकिन इस संबंध में कोई कागजात प्रस्तुत नहीं करता।

क्यों बंद हुआ मालगुजारी वसूलना

लोगों का कहना है कि सीसीएल ने उन लोगों से वर्ष 1990 तक जमीन की मालगुजारी वसूली। इसके बाद मालगुजारी वसूलना बंद कर दिया गया, आखिर क्यों? इससे साबित होता है कि 1990 में ही कंपनी को प्राप्त जमीन की लीज खत्म हो चुकी है।

कई सरकारी भवनों पर भी खतरा

सीसीएल की जमीन पर कई स्कूल एवं अन्य सरकारी भवन भी अवैध रूप से बने हैं। न्यायालय के आदेश का पालन होने पर ऐसे भवनों पर भी खतरा है।

आंदोलन की बन रही रणनीति

घरबार बचाने के लिए लोगों ने सीसीएल प्रबंधन के इस आदेश का पुरजोर विरोध किया है। उनका कहना है कि यदि जमीन खाली करने के लिए सख्ती बरती गयी तो सभी एकजुट होकर पुरजोर विरोध करेंगे। यहां तक कि कोयले का उत्पादन भी ठप करा दिया जाएगा।

------------------------- न्यायालय के आदेश का पालन किया जा रहा है। सीसीएल की जमीन का कुल रकबा 4500 एकड़ है। इसमें 2000 एकड़ में खदान एवं आवास बने हैं। शेष जमीन पर अवैध कब्जा है। कंपनी के करीब 112 आवासों पर अवैध कब्जा है। इस संबंध में जिला प्रशासन को प्रतिवेदन दिया जाएगा। जमीन व आवास खाली कराने की जिम्मेवारी जिला प्रशासन की होगी।

-जेएन गुप्ता, परियोजना पदाधिकारी, गिरिडीह

यदि जमीन का लीज खत्म हो गया है तो इसे मूल रैयतों को वापस कर देना चाहिए। वर्षो से रह रहे परिवारों को हटाना उचित नहीं होगा। इसके पहले जिला प्रशासन व सीसीएल प्रबंधन सर्वदलीय बैठक बुलाकर लोगों को बसाने की पहल करे। आम जनता को हटाने से पहले सीसीएल की जमीन पर बने सरकारी भवनों को तोड़ा जाए।

-निर्भय शाहाबादी, गिरिडीह विधायक

विस्थापन से पहले पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए। वैकल्पिक व्यवस्था के बाद अतिक्रमण हटाने के आदेश का पालन हो।

डा. सरफराज अहमद, विधायक, गांडेय

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