पारसनाथ एक्शन प्लान से आदिवासी क्षेत्र का नहीं हुआ विकास
गिरिडीह : सामाजिक कार्यकर्ता जीतन मरांडी ने कहा कि पारसनाथ एक्शन प्लान के नाम पर नक्सल प्रभावित क्षे
गिरिडीह : सामाजिक कार्यकर्ता जीतन मरांडी ने कहा कि पारसनाथ एक्शन प्लान के नाम पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कोई काम नहीं हुआ है। पारसनाथ पहाड़ की तलहटी पर बसे उन 22 गांवों में विकास का कोई कदम नहीं उठाया गया, जिसके लिए यह योजना तैयार की गई। बेरोजगारों को रोजगार देने की बात ही छोड़ दें, पेयजल, पीसीसी, कृषि विकास, स्वास्थ्य लाभ व आवास जैसी बुनियादी समस्याओं पर कोई पहल नहीं हुआ। मधुबन से लेकर पहाड़ तक जो काम किया गया है उसे सब देख रहे हैं। करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी आदिवासियों के लिए कोई काम नहीं हुआ। माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर क्षेत्र को अशांत किया जा रहा है। उन्होंने सरकार व प्रशासन पर आरोप लगाया कि असल में एक्शन प्लान के नाम पर पारसनाथ की तलहटी में बसे गांवों को खाली करके उसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों जमीन सौंपने की साजिश की जा रही है, ताकि यहां कि संपत्ति की आसानी से लूट हो सके। ऐसा करके वहां रहनेवाले आदिवासी समुदाय के लोगों की जीवन शैली को छिन्न-भिन्न किया जा रहा है, ताकि उन्हें संघर्ष करना पड़ जाए। पर उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आदिवासी हर स्थिति में संघर्ष करके एकजुट रहते हैं। यही कारण है कि मोतीलाल बास्की की हत्या के बाद से सभी एकजुट हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पारसनाथ एक्शन प्लान से यहां के आदिवासियों एवं इस इलाके का विकास होने वाला नहीं है।