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परियोजनाओं में अब जमीन नहीं बनेगी रोड़ा

गिरिडीह : भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राज्य उच्च पथ एवं अन्य परियोजनाओं के निर्माण के रास्त

By Edited By: Published: Thu, 01 Sep 2016 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 01 Sep 2016 01:01 AM (IST)

गिरिडीह : भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राज्य उच्च पथ एवं अन्य परियोजनाओं के निर्माण के रास्ते में आ रही जमीन विवाद को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। यह कमेटी अधिग्रहित होने वाली या अर्जित जमीन की प्रकृति, प्रकार, वर्तमान स्वरूप तथा प्रकार के ¨बदु पर विवादों को दूर करेगी। उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में सदस्य के रूप में अपर समाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी, जिला भू अर्जन पदाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्ता, अंचलाधिकारी एवं जिला अवर निबंधन पदाधिकारी सदस्य होंगे। सरकार के सचिव कमल किशोर सोन ने सूबे के सभी उपायुक्त को इस आशय का पत्र भेजकर इसका अनुपालन सुनिश्चित करने कहा है।

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विदित हो कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जीटी रोड का सिक्स लेन कर रहा है। इसके लिए गिरिडीह जिले के बगोदर क्षेत्र में काफी जमीन अधिग्रहित की गयी है। विस्थापितों का नेतृत्व कर रहे भाकपा माले के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक विनोद ¨सह ने ऐलान किया था कि विस्थापितों को उचित मुआवजा मिले बिना एनएचएआइ को जमीन की मापी करने नहीं दी जाएगी। प्रशासन हालांकि भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मापी कराने में सफल रहा था। विनोद ¨सह उसी दिन मुख्यमंत्री से रांची में मिले थे और विस्थापितों की तीन प्रमुख मांगे उनके समक्ष रखी थी। विनोद ¨सह ने मुख्यमंत्री से कहा था कि गैर मजरूआ जमीन जिसपर लोग 40-50 साल से रह रहे हैं को रैयती जमीन के समान मुआवजा मिलना चाहिए। उनका कहना था कि गैर मजरूआ जमीन की रजिस्ट्री भी तो सरकार के ही एजेंसी ने की है। मुख्यमंत्री ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए विशेष पहल करने का आश्वासन दिया। इसके बाद सरकार के सचिव कमल किशोर सोन ने कमेटी गठित करने की सूचना जारी की। माना जा रहा है कि विनोद ¨सह की मांग पर सरकार ने कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है।

सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि विवादित स्थल की जांच के समय संबंधित भूमि का वीडियो एवं फोटो भी अभिलेख में रखा जाए। फोटो व वीडियों में समय एवं तिथि अंकित रहे। जांच करने वाले पदाधिकारी की तस्वीर भी रहे ताकि यह प्रमाणित हो कि वास्तव में स्थल जांच करने पर पाया गया कि पुराने अभिलेखों में अंकित भूमि की परिस्थिति व स्वरूप में स्थानीय जांच में परिवर्तन पाया गया है। इधर सरकार के सचिव केके सोन ने उपायुक्तों को एक और पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि भू अर्जन अधिनियम 2013 के तहत अधिग्रहण के दौरान मकान का आंशिक हिस्सा क्षतिग्रस्त होने पर पूरे मकान का मूल्यांकन कर मुआवजा देने का प्रावधान है। लेकिन किसी भवन का बाहरी भाग जैसे चारदीवारी क्षतिग्रस्त होता है तो सिर्फ उतने ही भाग के मुआवजे का हकदार रैयत होगा।

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बाक्स :

कानून के पालन की गारंटी दे सरकार : विनोद ¨सह

गिरिडीह : पूर्व विधायक विनोद ¨सह ने कहा है कि सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून के पालन की गारंटी देनी चाहिए। ऐसा नहीं करने से ही गोला, बड़कागांव समेत पूरे राज्य के विस्थापित आक्रोशित हैं। एनएचएआइ बगोदर में जीटी रोड का सिक्स लेन करने जा रही है। इसके लिए सरकार जमीन अधिग्रहित कर रही है। विस्थापितों की ओर से उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष तीन मांगे रखी थी। उसमें से एक था गैर मजरूआ जमीन का भी मुआवजा मिले। सरकार ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है। दूसरी मांग थी कि एनएचएआइ मकान का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त होने पर पूरे मकान की मापी कर मुआवजे नहीं दे रही थी। जबकि भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 के तहत पूरे मकान का मुआवजा देने का प्रावधान है। सरकार ने यह मांग भी मान ली है। तीसरी मांग है क जिस दर पर हमारी जमीन की रजिस्ट्री होती है, मुआवजा भी उसी दर पर सरकार दे। बिना इन सभी मांगों को पूरा किए एनएचएआइ को काम करने नहीं देंगे।


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