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संतानों की बेरूखी से ली वृद्धाश्रम की शरण

गिरिडीह : संतानों ने जब साथ छोड़ दिया और खाने पीने की जिम्मेवारी लेने से इंकार कर दिया तो ऐसे कुछ बु

By Edited By: Published: Tue, 23 Aug 2016 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 23 Aug 2016 01:01 AM (IST)
संतानों की बेरूखी से ली वृद्धाश्रम की शरण

गिरिडीह : संतानों ने जब साथ छोड़ दिया और खाने पीने की जिम्मेवारी लेने से इंकार कर दिया तो ऐसे कुछ बुजुर्गों ने वृद्धाश्रम की शरण में जाना ही उचित समझा। वहीं रहकर अपनी शेष जिन्दगी गुजारने का फैसला कर लिया जो कि गिरिडीह शहर के बस पड़ाव से नए परिसदन भवन जानेवाले मार्ग पर अवस्थित है। हालांकि उन्हें अपने संतानों से अभी भी कोई शिकायत नहीं है। ऐसा करना वे उन बच्चों की मजबूरी बताते हैं। कुछ बुजुर्गों ने यह भी कहा कि उनका पुत्र एकमात्र कमानेवाला सदस्य अपने घर में था। ऐसी स्थिति में अपने बाल बच्चों और उनका भी खर्च कहां से चला पाता। इसलिए उन्होंने वृद्धाश्रम में रहने का निर्णय ले लिया। जमुआ प्रखंड के सोहागढ़ के रहनेवाले महेन्द्र प्रसाद ने कहा कि उनके भाई शहर के बरमसिया में रहते थे। उनकी चार संतानें हैं। उनकी मौत के बाद वे मंदिर में रहने लगे। बाद में भतीजे ने कहा कि आप जाकर वृद्धाश्रम में क्यों नहीं रहते हैं। इसके बाद से वे यहीं रहने लगे हैं। गिरिडीह सदर प्रखंड के पूरनानगर के भूराही के रहनेवाले एतवारी ने कहा कि उनकी पत्नी से उनकी अनबन होती रहती थी और बाल बच्चा भी इसमें कुछ नहीं कहता था। इसलिए वह यहां आकर रहने लगे। गिरिडीह जिला मुख्यालय से सटे चैताडीह की रहनेवाली श्रद्धा देवी ने कहा उनका एक पुत्र है जो राजमिस्त्री का काम करता है। वह कहता है था कि इतने पैसे में घर का खर्च कैसे चला पाउंगा। यह सुनते सुनते उन्होंने इस आश्रम में रहने का फैसला कर लिया। बगल के शीतलपुर के रहनेवाले रामविलास दास ने कहा कि उनकी एक पुत्री थी जिसकी शादी गया में हो गई। वे अकेले रह गए और देखनेवाला कोई नहीं था। इसलिए यहां आ गए। जामताड़ा जिले की रहनेवाली सावित्री देवी ने कहा कि उनका कोई नहीं था इसलिए वह यहां आ गई। जमुआ प्रखंड के महतोटांड़ के रहनेवाले पोखन हजरा ने कहा कि वे अपने पूरे घर के अकेले सदस्य थे इसलिए यह आश्रम उनका आसरा बन गया। इसी तरह की कई महिला व पुरूष उक्त आश्रम में नजर आए जिनकी अलग अलग कहानी सामने नजर आइ। वृद्धाश्रम में मिलती हैं सारी सुविधाएंवृद्धाश्रम की देखरेख करनेवाले मुन्ना ने कहा कि यहां उनके लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। तीनों टाइम नाश्ता व खाना उन्हें दिया जाता है। बीच बीच में मेनू बदलकर खाना दिया जाता है। सप्ताह में एक दिन मांसाहारी खाने की व्यवस्था यहां रहती है। इसके लिए कई बार कई संस्थाओं द्वारा भी कई तरह की मदद की जाती है। बताया कि लायंस क्लब की ओर से इनके मनोरंजन के लिए एक टीवी दिया गया है। उसी प्रकार शांति भवन व मारवाड़ी युवा मंच की प्रेरणा शाखा एवं मारवाड़ी महिला समिति द्वारा भी बर्तन आदि दिए गए हैं। कभी कोई कपड़ा तो कभी फल आदि दे जाता है। एस बी आई द्वारा सभी को टार्च व छाता दिया गया। कहा कि सभी यहां काफी खुश हैं और अपने घर से ज्यादा खुशी यहां महसूस करते हैं। बताया कि झारखंड सरकार के जिला समाज कल्याण विभाग ने इसे बनाया है और संचालन का जिम्मा सामाजिक समस्या निवारण एवं कल्याण संस्था को दिया गया है।


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