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यहां गोली के खौफ से उठती नहीं डोली

पीरटांड़ (गिरिडीह) : शादी-ब्याह हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इसके लिए समाज के लोगों के समक्ष ग

By Edited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2016 01:00 AM (IST)
यहां गोली के खौफ से उठती नहीं डोली

पीरटांड़ (गिरिडीह) : शादी-ब्याह हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इसके लिए समाज के लोगों के समक्ष गाजे-बाजे के साथ युवक-युवती को शादी के बंधन में बांधा जाता है। लेकिन, जिले के पीरटांड़ प्रखंड के कई गांव में आज भी बाहर के लोग शादी करने नहीं आते हैं। अगर किसी की शादी लग भी गई तो यह मालूम होने पर कि यह क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित है, वे तुरंत इन्कार कर देते हैं।

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उन्हें इस बात का डर सताता रहता है कि शादी के वक्त कभी भी नक्सली धावा बोल सकते हैं या फिर पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो सकती है जिसमें उनकी जान भी जा सकती है। यही वजह है कि उग्रवाद प्रभावित गांवों के कई युवक उम्र होने के बावजूद कुंवारे हैं। हालांकि, इस संबंध में कोई भी ग्रामीण नक्सलियों के भय से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं। काफी समझाने के बाद नाम नहीं छापने की शर्त पर दर्द बयां करते हैं।

पूरे प्रखंड में नक्सलियों का प्रभाव : बता दें कि पूरा पीरटांड़ नक्सलियों के प्रभाव में है। यहां नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की तरफ से लगातार कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में एक कोबरा जवान शहीद हुआ, जबकि एक उग्रवादी भी मारा गया। इसके बाद हुई मुठभेड़ में किसी को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा, लेकिन काफी मात्रा में विस्फोटक समेत अन्य सामग्री बरामद की गई। इस सबके बीच ग्रामीणों से बेहतर तालमेल स्थापित करने की नीयत से पुलिस-पब्लिक मीट के तहत बेहतर पहल की जा रही है।

फिर टूटी एक शादी : पुलिस की ओर से लाख प्रयास किए जाने के बाद भी ग्रामीणों में नक्सलियों का भय समाप्त नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण आज भी दहशत में हैं। इस थाना क्षेत्र के अंगैया, बरदही, बिशुनपुर, खेताडाबर, भलुआपहरी आदि गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में चर्चित हैं। यही वजह है कि गांवों में कोई भी व्यक्ति अपने बेटे या बेटी की शादी करना नहीं चाहता।

अगले माह 10 जुलाई को एक घर में शादी तय थी। लेकिन, रिश्ता करनेवालों को जैसे ही पुलिस-नक्सली मुठभेड़ एवं उग्रवादियों की गतिविधि बढ़ने की जानकारी मिली तो उनलोगों ने शादी करने से इन्कार कर दिया। कई ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह बात बताई। कहा कि अगर हमलोगों का नाम छापा तो दोनों तरफ से जाएंगे। ग्रामीणों का इशारा नक्सली और पुलिस की ओर था।

ग्रामीणों के मुताबिक इन क्षेत्रों में कई युवा शादी की प्रतीक्षा करते-करते 40-45 वर्ष की अधेड़ावस्था में प्रवेश कर चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या किसी की शादी नहीं होती, बताया कि स्थानीय स्तर पर कुछ लोग रिश्ता जोड़ते हैं लेकिन इस थाना क्षेत्र के बाहर संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में बाहर काम करने गए कई युवकों ने कार्यक्षेत्र में ही शादी रचाकर दाम्पत्य जीवन की शुरुआत की।

''वर्तमान में लोगों का माइंडसेट बदला है। नवयुवक प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ग्रामीणों का विश्वास पाने के लिए पुलिस शिविर का आयोजन कर रही है। इस क्षेत्र में लोग शादी करने नहीं आते हैं या ग्रामीण उग्रवादियों से भयभीत हैं, यह कहना गलत होगा। उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से हालात तेजी से बदल रहे हैं।

- अखिलेश वी वारियर, एसपी, गिरिडीह


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