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जनांदोलन नहीं बना स्वच्छता अभियान

गिरिडीह : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू होनेवाले स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत अभियान के प्रत

By Edited By: Published: Thu, 01 Oct 2015 05:58 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2015 05:58 PM (IST)
जनांदोलन नहीं बना स्वच्छता अभियान

गिरिडीह : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू होनेवाले स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत अभियान के प्रति सिर्फ कागजी खानापूर्ति पर ही जोर दिया जा रहा है। स्वच्छता को लेकर जनजागरूकता और आम जनता जनार्दन की मानसिकता अभी नहीं बदली है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में गंदगी और स्वच्छता के प्रति संजीदगी का अभाव दिख रहा है। स्वच्छता अभियान सिर्फ सरकारी एजेंसियों के चलाने मात्र से ही सफल नहीं हो सकता। इसके लिए जरूरी है कि आम जनमानस को इसकी अहमियत का बोध हो। ऐसा नहीं होने पर हालात नहीं बदल सकते।

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वर्तमान में शहरी क्षेत्र में गंदगी का आलम विकट है। शहर के हर वार्ड और मुहल्ले में मानवजनित गंदगी का अंबार लगा है। नगर पर्षद के पास सफाई कर्मचारियों का टोटा है। कम संसाधन के कारण नप प्रशासन शहर की समुचित सफाई में पिछड़ता रहा है। शहर का मेन रोड जहां हर दिन हजारों की संख्या में लोगों का आवागमन होता है, वहां गंदगी की स्थिति भयावह बनी रहती है। बाजार क्षेत्र में भी स्थिति कमोवेश ऐसी ही है।

डॉक्टर्स लेन की स्थिति बदतर : शहर के डाक्टर्स लेन मे इन दिनों गंदगी का साम्राज्य कायम है। गत वर्ष यहां निजी प्रैक्टिशनर्स और आइएमए की ओर से विशेष सफाई अभियान चलाया गया था। इसमें ड्रग एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इस गली में सामान्य कचरा के अलावा बायोमेडिकल वेस्ट भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है।

पर्यावरण के लिए खतरनाक ऐसी गंदगी को लेकर निजी प्रैक्टिशनर्स और दवा दुकानदारों में उदासीनता का भाव देखा जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति शहर की हृदयस्थली कचहरी चौक की भी है। कोर्ट में सुदूर गांव से लोग न्यायिक प्रक्रिया के लिए चक्कर काटते हैं। मेन रोड पर मछली, सब्जी, फूल, फल और ठेला-खोमचा वाले लोगों की तीमारदारी में लगे रहते हैं। फुटपाथ दुकानों की भी भरमार रहती है। ऐसे में यहां गंदगी फैलना रूटीन वर्क है। सफाई को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है।

जिला प्रशासन ने चलाया था अभियान : गत वर्ष तत्कालीन उपायुक्त दीप्रवा लकड़ा की अगुआई में जिलेभर में स्वच्छता अभियान जोरशोर से चलाया गया था। शहरी क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की ओर से इस अभियान में भागीदारी निभाई गई थी। एक वर्ष बाद इस अभियान की पोल खुलने लगी है। यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रशासन की निगाह में आने मात्र तक ही स्वच्छता अभियान से लोगों का सरोकार रहा था। अखबारों के लिए फोटो ¨खचवाकर लोगों ने अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली।

स्वच्छता से भागेगी बीमारी : आइएमए अध्यक्ष डॉ. विद्याभूषण का कहना है कि ज्यादातर बीमारियां गंदगी से पनपती हैं। जागरूकता के अभाव में लोग इसका कोपभाजन बनते हैं। अभी मलेरिया, डायरिया, डेंगू आदि बीमारी तेजी से फैल रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छता का ख्याल रखना काफी जरूरी है। इसके लिए लोगों की मानसिकता में परिवर्तन भी आवश्यक है।

''नगर पर्षद प्रशासन अपनी क्षमता के अनुकूल सफाई अभियान को लेकर पूरी तरह मुस्तैद है। मौजूदा परिस्थिति में शहर में रूटीन अभियान चलाने में परेशानी होती है। कम संसाधन के साथ सेवा क्षेत्र में लगातार विस्तार होने से भी परेशानी बढ़ी है। मेन रोड की दुकानों और बाजार के वेंडरों पर गंदगी फैलाने पर दंड का प्रावधान सुनिश्चित करने पर विचार किया जा रहा है।

- श्रवण कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद, गिरिडीह।


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