युवा महोत्सव में दिखाया कला का जलवा
गिरिडीह : रामकृष्ण महिला महाविद्यालय की मेजबानी में आयोजित तीन दिवसीय अंतर कॉलेज युवा महोत्सव (झूमर)
गिरिडीह : रामकृष्ण महिला महाविद्यालय की मेजबानी में आयोजित तीन दिवसीय अंतर कॉलेज युवा महोत्सव (झूमर) का रंगारंग समापन बुधवार की देर शाम यहां आकर्षक प्रस्तुति के साथ हुआ। शहर के मोती पिक्चर पैलेस सभागार में समापन दिवस पर शास्त्रीय और पाश्चात्य संगीत पर आधारित नृत्य एवं गायन प्रतियोगिता में कॉलेज के छात्र-छात्राओं में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी गई।
पाश्चात्य संगीत पर आधारित गायन प्रतिस्पर्धा में आरके महिला कॉलेज की छात्रा श्रेया चक्रवर्ती ने धमाकेदार प्रदर्शन किया। इसी स्पर्धा में मार्खम कॉलेज हजारीबाग और बीएसके कॉलेज मैथन के छात्रों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
इसके पहले समापन दिवस पर कविता पाठ और सेमी क्लासिकल वोकल में केबी कॉलेज बेरमो की टीम ने बेहतर प्रस्तुति दी। जनजातीय लोकनृत्य और रचनात्मक नृत्य में क्रमश: जेजे कॉलेज तिलैया, केबी महिला कॉलेज हजारीबाग, एसएसएलएनटी कॉलेज धनबाद और मेजबान आरके महिला कॉलेज की छात्राओं ने आकर्षक समां बांधा।
आरके महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ. गीता डे ने कहा कि 20वें युवा महोत्सव में विश्वविद्यालय के सभी 16 कॉलेजों के प्रतिभागियों ने विभिन्न कलाविधा में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर आयोजन को भव्य बनाया। उद्घाटन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करनेवाले विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुरदीप सिंह ने उद्घाटन सत्र की सभी प्रतिस्पर्धा की सराहना की थी।
तीन दिवसीय महोत्सव के विभिन्न चरणों का परिणाम निर्णायक मंडली की ओर से देर रात कार्यक्रम स्थल पर घोषित किया गया। महोत्सव में मूलत: पांच प्रतिस्पर्धा आयोजित हुई जिनमें 27 कलाविधाएं शामिल थीं। प्रतिस्पर्धा में समूह नृत्य, क्विज, वाद-विवाद, कविता पाठ, लोकगायन, लोकनृत्य, हास्य प्रहसन, कार्टून निर्माण, पाश्चात्य गीत-संगीत, मिमिक्री, रंगोली निर्माण, एकांकी नाटक, थियेटर सहित अन्य विधाएं शामिल थीं।
प्रतिभागियों में गिरिडीह कॉलेज, पीके राय मेमोरियल कॉलेज, जीएन कॉलेज धनबाद, पीजी सेंटर हजारीबाग, संत कोलंबस कॉलेज हजारीबाग आदि के प्रतिभागियों ने दमदार प्रदर्शन कर आयोजकों का ध्यान आकर्षित करने में सफलता हासिल की। नृत्य और गीत-संगीत प्रतियोगिता के निर्णायकों में डॉ. पुष्पा सिन्हा, सोमा डे, शोभा अग्रवाल एवं जीआर दास शामिल थे। सभी प्रतिस्पर्धा के लिए अलग-अलग निर्णायक थे।