जेवीएम में डेमेज कंट्रोल की मशक्कत
जासं, गिरिडीह : गिरिडीह जिले के छह विधानसभा सीटों में तीन सीट पर कब्जा जमाकर पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी झाविमो को आगामी विधानसभा चुनाव को ले दल-बदल की चोट सबसे ज्यादा लग रही है। धनवार विधायक निजामुद्दीन अंसारी पहले ही अपना कुनबा अलग कर चुके हैं जबकि शेष दो विधायक गिरिडीह के निर्भय शाहाबादी व जमुआ के चंद्रिका माहथा का भी मन पार्टी के प्रति मलिन ही चल रहा है। ये भी अपना सुरक्षित स्थान ढूंढने में लगे हैं। जेवीएम के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रशांत जायसवाल ने हाल ही में भाजपा का दामन थामा है। प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से हुए इन नुकसान की भरपाई करने में जेवीएम के दिग्गज जुट चुके हैं।
हालांकि यह बात दीगर है कि विधायक द्वय श्री शाहाबादी व श्री माहथा की ओर से अब तक यह पुष्टि नहीं की गयी है कि आगामी चुनाव को ले उनकी भाजपा यह अन्य की ओर है। जबकि गिरिडीह जेवीएम में अब यह चर्चा आम हो गयी है कि श्री शाहाबादी पांच दिन से दिल्ली में कैंप किए हुए हैं और चंद्रिका माहथा के प्रति पार्टी का नेतृत्व ही खफा है। इसलिए जमुआ सीट पर माहथा के विकल्प के रूप में पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे माले प्रत्याशी सत्यनारायण दास की एंट्री जेवीएम में तय हो चुकी है। जमुआ में जेवीएम के चुनावी रेस का घोड़ा यही रहेंगे। जबकि श्री शाहाबादी के करीबी लोगों का कहना है कि विधायक बाहर इलाज के लिए गए हैं। वे जेवीएम के साथ हैं। गापनीयता की शर्त पर जेवीएम के उक्त नेता ने यह भी बताया कि धनवार में माले के कद्दावर नेता राजकुमार यादव से पार्टी के एक प्रमुख नेता संपर्क में हैं। तीन दौर की वार्ता हो चुकी है। जबकि माले नेता राजकुमार यादव की ओर से जेवीएम में जाने की कोई बात अब तक सार्वजनिक नहीं की गयी है।
इस बीच मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सुरेश साव ने बुधवार को बताया कि जमुआ से कौन लड़ेगा यह पार्टी तय करेगी पर माले के सत्यनारायण दास गुरुवार को रांची मुख्यालय में जेवीएम में शामिल होंगे। उन्होंने एक अन्य सवाल पर यह भी कहा कि पार्टी में आना-जाना लोगों का लगा रहता है। सुप्रीमो की साख में कोई कमी नहीं है। भाजपा अगर इतनी ही मजबूत है तो जेवीएम व अन्य दल के लोगों को क्यों तोड़ रही है। जहा तक जमुआ व गिरिडीह की बात है तो सुप्रीमो को सारी गतिविधियों की जानकारी है। जबरन कोई किसी को पार्टी में रोक नहीं सकता। गिरिडीह सीट के लिए प्रत्याशी की कमी नहीं है, कार्यकर्ता गिरिडीह से चुनाव लड़ने को सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी पर बतौर प्रत्याशी दबाव बनाएंगे। उन्होंने बताया कि सुप्रीमो मरांडी गुरुवार को यहां जेल गेट पहुंचेंगे। वहां जेल में बंद डुमरी के नेता प्रदीप साहू से मुलाकात करेंगे। इस बीच श्री साव व राजेश जायसवाल ने साहू की गिरफ्तारी को एक पक्षीय कार्रवाई बताते हुए पुलिस की निंदा की और दूसरे पक्ष के आरोपी सह चिकित्सा प्रभारी को भी गिरफ्तार करने की मांग की।
छह सीटों को ले ये हैं रेस में
गिरिडीह : चुनावी राजनीति को ले गिरिडीह में दल-बदल की चल रही हवा के बीच जेवीएम ने अपने गढ़ को सुरक्षित रखने के लिए हर सीट पर कद्दावर नेता खड़ा करने का खाका लगभग तैयार कर लिया है। जेवीएम जिले की छह सीटों में से कई पर दूसरे दल के प्रमुख नेताओं को उतारने की तैयारी में हैं। सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के एक करीबी की मानें तो स्थिति बदली तो सबक सिखाने के लिए मरांडी खुद गिरिडीह सीट से लड़ेंगे वहीं गांडेय सीट के लिए दूसरे दल के दो पूर्व विधायकों का नाम सूची में रखा गया है। जबकि जमुआ से सत्यनारायण दास, डुमरी से प्रदीप साव, बगोदर से नागेंद्र महतो व धनवार सीट से आरके यादव से बात नहीं बनी तो सुरेश साव को उतारने की तैयारी है।
बसंत भोक्ता पार्टी नीतियों पर बिफरे
गिरिडीह : जेवीएम के जिला सचिव बसंत भोक्ता पार्टी की रीति-नीति को ले खासा गरम हैं। उन्होंने दूरभाष पर बताया कि प्रमुख कार्यकर्ताओं व नेताओं की उपेक्षा पार्टी में चरम पर है। इस पर लगाम नहीं लगा तो जेवीएम का हश्र सूरज मंडल के झाविद की तरह हो जाएगा। आज वही लोग पार्टी छोड़कर भाजपा की ओर जा रहे हैं जिन्हें पूर्व में सुरेश साव ने मोर्चा में लाया था। व्यक्ति विशेष को तरजीह देने की गलत परंपरा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी खत्म नहीं किए तो चुनाव में जेवीएम को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अब भी वक्त है, उपेक्षा-अनदेखी खत्म हो। जेवीएम के कार्यकर्ता अपने बूते अधिकांश सीट पर जीत दर्ज करने में सक्षम हैं।