धुरकी प्रखंड में संचालित मदरसों को नहीं मिल रहा अनुदान
धुरकी: प्रखंड में चल रहे एक दर्जन से अधिक मदरसा को सरकारी अनुदान नहीं मिल रहा है। सरकारी अनुदान
धुरकी: प्रखंड में चल रहे एक दर्जन से अधिक मदरसा को सरकारी अनुदान नहीं मिल रहा है। सरकारी अनुदान के आशा में पिछले कई दशक से मदरसा से जुड़े लोग इंतजार कर रहे हैं। धुरकी प्रखंड में लगभग एक दर्जन से अधिक मदरसा में लगभग प्रतिवर्ष छह हजार बच्चों को तालिम दी जाती है। इन मदरसों में बाहरी बच्चों को भी तालिम दी जाती है। दोपहर व रात का भोजन दिया जाता है। धुरकी में स्थापित मदरसा दारूल उलेमा गोसिया नूरिया मदरसा में लगभग छह सौ बच्चों को तालिम दी जाती है। यहां लगभग एक दर्जन शिक्षक बच्चों को तालिम देते हैं। यहां के सभी मदरसों को जनसहयोग से चलाया जाता है। जनसहयोग से मिली राशि से ही शिक्षकों को वेतन दिया जाता है। परंतु जनसहयोग की राशि काफी कम होती है। फलस्वरूप शिक्षकों को काफी कम मानदेय पर पूरे माह पढ़ाना पड़ता है। विदित हो कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत गांव के हरेक टोले में विद्यालय खोला गया। परंतु इस अभियान में मदरसा को शामिल नहीं किया गया। धुरकी के खाला, खुटिया, करवा पहाड़, गनियारी, टाटीदीरी, भंडार सहित कई स्थानों पर मदरसा का संचालन होता है। सरकार की दोहरी नीति का परिणाम है कि मदरसा को वित्त पोषित नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण अली रौशन अंसारी, अली अब्बास अंसारी, इस्लामुद्दीन अंसारी, महमूद अंसारी, इस्माइल मियां सहित दर्जनों लोगों ने सरकार द्वारा वित्त पोषित नहीं किए जाने पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है।
पक्ष
मेरे यहां से किसी भी मदरसा को कोई फं¨डग नहीं दी जाती है। सरकार शैक्षणिक संस्थानों को रजिस्ट्रेशन करवा रही है। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान रजिस्ट्रेशन करायेंगे तो फं¨डग के लिए सरकार को लिखा जाएगा।
अरूण कुमार पांडेय,
बीईईओ, धुरकी।