खाता न बही, गुरुजी जो कहें वही सही
दीपक, गढ़वा : सर्व शिक्षा अभियान के एडीपीओ अंबुजा पांडेय सरकारी स्कूलों में शौचालय की स्थिति जानने क
दीपक, गढ़वा : सर्व शिक्षा अभियान के एडीपीओ अंबुजा पांडेय सरकारी स्कूलों में शौचालय की स्थिति जानने के लिए शुक्रवार को सगमा प्रखंड पहुंचे थे। यहां स्कूलों की जमीनी हकीकत देख एडपीओ के होश उड़ गये। इन्हें निरीक्षण के दौरान एक भी स्कूल में शौचालय क्रियाशील नहीं मिले। स्कूलों में न तो किसी प्रकार की पंजी और ना ही कोई खाता बही मिला। बात भवन निर्माण के लिए मिली राशि के हिसाब का हो या फिर मिड डे मील व पोशाक क्रय के खाता बही का किसी भी स्कूल में संबंधित कागजात नहीं मिले। सबसे बुरा हाल तो स्कूली बच्चों के बीच पोशाक वितरण का मिला। यहां एक भी स्कूल में पोशाक आपूर्ति के लिए वर्क आर्डर नहीं दिखाया गया।
एडीपीओ अंबुजा पांडेय ने बताया कि नव प्राथमिक विद्यालय हड़िया टोला सगमा के निरीक्षण के दौरान पारा शिक्षक संजय पाल ने बताया कि पोशाक का आपूर्तिकर्ता नसरुद्दीन अंसारी एक फारमेट लेकर स्कूल में आए और इनसे उस पर हस्ताक्षर कराकर चले गये। बाद में उनके द्वारा स्कूल के बच्चों को एक-एक सेट पोशाक की आपूर्ति की गई है। यहां जांच के लिए जब एडीपीओ ने पंजी मांगी तो संजय पाल किसी प्रकार का भी पंजी नहीं दिखा सके। संजय पाल द्वारा पोशाक आपूर्ति के एवज में आपूर्तिकर्ता को उसके खाता में पैसा का भुगतान करने की जगह नकद भुगतान कर दिया गया है। नव प्राथमिक विद्यालय छपरवार पुतूर के निरीक्षण में यह सामने आया कि स्कूल की पारा शिक्षिका का चयन जनवरी 2015 में सरकारी शिक्षक के पद पर पलामू में हुआ है। वह वर्तमान में पलामू में ही पदास्थापित हैं। बावजूद इसके उनके द्वारा बैक डेट में पोशाक आपूर्ति की राशि का भुगतान आपूर्तिकर्ता को कर दिया गया। गौरतबल हो कि पोशाक आपूर्ति की राशि का भुगतान मार्च 2015 में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा किया गया था। ऐसे में शिक्षिका द्वारा आपूर्तिकर्ता को पोशाक आपूर्ति की राशि का भुगतान जनवरी माह में किया जाना सवालों के घेरे में है। एडीपीओ ने इसे सरकारी राशि गबन करार देते हुए संबंधित शिक्षका के विरुद्ध् कार्रवाई के लिए पलामू डीएसई से अनुशंसा करने की बात कही। उत्क्रमित मध्य विद्यालय घघरी में सरकारी शिक्षक के रहते यहां एक पारा शिक्षक रामाशंकर यादव को स्कूल का प्रभारी बना देख एडीपीओ हैरान रह गये। यहां भी इन्हें किसी प्रकार का हिसाब-किताब का लेखाजोखा नहीं दिखाया जा सका। एडीपीओ को ग्रामीणों ने बताया कि इस स्कूल के अधिकांश बच्चे गढ़वा के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। उन बच्चों का इस स्कूल में दोहरा नामांकन किया गया है।