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विस्थापन के आसरे जमीन तैयार करने तैयारी

By Edited By: Published: Mon, 31 Dec 2012 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2012 08:45 PM (IST)
विस्थापन के आसरे जमीन तैयार करने तैयारी

दुमका, जागरण प्रतिनिधि : सूबे में विस्थापन की लड़ाई के आसरे सीपीआई, माकपा, आरएसपी, फारवर्ड ब्लाक एवं जेडीपी जैसी पार्टियां संताल परगना में अपनी जमीन तैयार करने की जुगत में हैं। इस सिलसिले में सोमवार को दुमका परिसदन में इन दलों की एक संयुक्त बैठक कर कई रणनीति तैयार की गयी। इस बैठक में सीपीआई के पूर्व सांसद सह राज्य सचिव भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, दीपनारायण यादव, अब्दुल बहाव शम्स, बासुदेव देव, हर प्रसाद खां, एहतेशाम अहमद, निर्मला मुर्मू, कन्हाई माल पहाड़िया, छाया कोल, केशव नारायण सिंह, परशुराम सिंह, गौर रवानी, परमेश्वर टुडू, योगेश्वर महतो, सुनील हांसदा, रसिलाल टउू, शारदा प्रसाद गुप्ता, अजित पाल, पंकज हेम्ब्रम एवं परशुराम सिंह समेत दर्जनों सदस्य शामिल थे। बैठक में मुख्य रुप से विस्थापन एवं पलायन के मुद्दे पर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया। पैनम कोल माइंस का मसला भी बैठक में छाया रहा।

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क्या कहा पूर्व सांसद भुनेश्वर ने

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सूबे में राजनीतिक अस्थिरता के पीछे स्वार्थ की राजनीति है। भाजपा व झामुमो में कोई राजनीतिक समानता नहीं है। दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। सत्ता में शामिल दल कारपोरेट के एजेंट हैं। सरकार सिर्फ स्वार्थ साधने के लिए चला रहे हैं। सरकार इस वित्तीय वर्ष में मात्र 18 फीसद राशि खर्च कर पाई है। उन्होंने कहा कि अगर सत्ता में शामिल नेताओं की करतूतों की जांच इमानदारी से हो जाए तो सबके सब फंस जाएंगे। सूबे को नेता नहीं अधिकारी चला रहे हैं। श्री मेहता ने कहा कि सूबे में राजनीतिक स्थिरता के लिए विधान सभा की 81 सीटों को बढ़ाकर 150 करने की जरुरत है। राज्य में परिसीमन भी नए सिरे से होना चाहिए। श्री मेहता ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 42 लाख विस्थापित हैं लेकिन अगर सरकार द्वारा किए गए 107 एमओयू एवं आवंटित किए गए 78 कोल ब्लाक धरातल पर उतारे गए तो यहां विस्थापितों की संख्या एक करोड़ के पार होगी। वाम दल समेत इस मंच के सभी संगठन इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में भूमि अधिग्रहण कानून भी 1894 का है जो कि अब भी आंशिक संशोधन के साथ प्रभावी है।

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तय की गयी रणनीति

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विस्थापन, पलायन, पंचायती राज अधिकार समेत अन्य मुद्दों पर आंदोलन तेज करने के लिए रणनीति तैयार कर ली गयी है। दिसंबर व जनवरी में कई जन सभाएं तय हैं। 29, 30 एवं 31 जनवरी को जिला मुख्यालयों में 72 घंटे का धरना कार्यक्रम होगा। 24 से 28 फरवरी के बीच पूरे राज्य में आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। नौ फरवरी को दुमका के गांधी मैदान में प्रमंडलीय जनसभा होगी। इसके लिए संयोजक मंडली में पशुपति कोल, एहतेशाम अहमद , पंकज हेम्ब्रम एवं निर्मला मुर्मू को शामिल किया गया है।

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