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पहले दी डिग्री, अब बता रहे फर्जी

दुमका: सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के लिए एमएड सत्र 2011-12 गले का फांस बनता जा रहा है। विवि द

By Edited By: Published: Tue, 30 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2016 01:00 AM (IST)

दुमका: सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के लिए एमएड सत्र 2011-12 गले का फांस बनता जा रहा है। विवि द्वारा शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के तहत एमएड पाठ्यक्रम का संचालन कराया था। शुरूआती दौर में यह पाठ्यक्रम विवाद में फंस गया था। कभी मान्यता को लेकर तो कभी छात्रवृत्ति को लेकर। विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ. एम वशीर अहमद खान ने इसकी शुरुआत की थी। कुलपति ने कहा था विवि इस तरह का पाठयक्रम संचालित करने में स्वयं सक्षम है। एनसीटीई से मान्यता लेने की कोई जरूरत नहीं है। आज स्थिति यह है कि सफल छात्र नौकरी के लिए भटक रहे हैं और कोई भी संस्थान उन्हें इसलिए लेने को तैयार नहीं है क्योंकि उनके प्रमाणपत्रों की कोई मान्यता नहीं है।

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क्या है मामला

विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ.एम वशीर अहमद खान द्वारा 2011-12 मे एमएड की पढ़ाई प्रारंभ की थी। इस 35 सीट वाले पाठ्यक्रम में बीएड कर चुके अभ्यर्थियों द्वारा एमएड करने को लेकर नामांकन लिया। फीस के रूप में 75 हजार रुपया भी लिया। जब मान्यता की बात उठी तो कुलपति ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर कहा कि गर विवि खुद पाठयक्रम का संचालन करता है तो उसे किसी संस्थान से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है। इसको लेकर साल भर हंगामा होता रहा। परीक्षा लेकर प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया। जब अपने ही विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में बीएड शिक्षकों की बहाली निकली तो वर्तमान कुलपति डॉ. कमर अहसन ने उनके प्रमाणपत्रों को एक सिरे से खारिज कर दिया। बताया कि प्रमाणपत्र फर्जी है। जिस संस्थान से एमएड किया है उसे एनसीटीई से मान्यता नहीं मिली।

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क्या कहते है भुक्तभोगी

गोड्डा जिला के रमेश पंडित का कहना है कि विवि के खिलाफ उच्च न्यायालय में वाद दायर किया था। 13 जुलाई को आए फैसले में सभी छात्रों को एक-एक लाख रूपया देने के आदेश दिया गया है। साथ ही प्रमाणपत्रों के जांच के लिए राज्य के शिक्षा सचिव को कहा गया है। साहिबगंज के मुकेश झा ने बताया कि जब एसपी बीएड कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बहाली निकलने पर साक्षात्कार दिया था। लेकिन यह कहकर नहीं लिया गया कि उनका प्रमाणपत्र फर्जी है। पाकुड़ जिले के शिक्षक जॉएल मुर्मू ने बताया कि हमें केकेएम बीएड कॉलेज पाकुड़ में करीब 18 माह पढ़ाने के बाद हटा दिया गया कि जिस संस्थान से एमएड किया है उसे मान्यता नहीं मिली थी। यदि मान्यता नहीं मिली तो फिर पढ़ाने के एवज में कैसे मानदेय का भुगतान किया गया।

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क्या कहते प्राचार्य

पाकुड़ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएस झा का कहना है कि एनसीटीई की टीम ने जांच के बाद ही उन्हें हटाने का आदेश जारी किया था।

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क्या कहते कुलपति

कुलपति डॉ. कमर अहसन ने बताया कि उस समय जो एमएड पाठयक्रम चल रहा था। एनसीटीई से मान्यता प्राप्त नही थी। ऐसे में उनलोगों की नियुक्ति नहीं हो सकती है।


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