मसानजोर में हर वर्ष आती कृत्रिम बाढ़
दुमका : देश की आजादी के दो साल बाद ही कनाडा सरकार की मदद से दुमका के मयूराक्षी नदी तट पर मसानजोर में
दुमका : देश की आजादी के दो साल बाद ही कनाडा सरकार की मदद से दुमका के मयूराक्षी नदी तट पर मसानजोर में बना कनाडा डैम (मसानजोर डैम) में प्रतिवर्ष कृत्रिम बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसका मुख्य कारण डैम की पेट में बालू व अन्य सामग्रियों का सिल्िटग होना है। सिल्िटग के कारण ही बरसात के दिनों में पर्याप्त बारिश होने की सूरत में डैम के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस वर्ष भी पिछले माह लगातार बारिश के कारण डैम के निचले इलाकों के रहने वाले लोग भयभीत थे। लगातार बारिश के कारण बढ़ रहे जलस्तर को ध्यान में रखकर प्रशासनिक स्तर पर डैम का सभी गेट खोल कर जल की निकासी की गयी थी।
बता दें कि 12 मार्च 1949 को बिहार एवं बंगाल सरकार ने तभी के संताल परगना के मयूराक्षी नदी पर बांध बनाने का निर्णय पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले को सुखाड़ से बचाने के लिए लिया था। तब के सरकारों ने यह तय किया था कि देवघर के त्रिकूट पहाड़ से निकलने वाली पहाड़ी नदी मयूराक्षी या मोर जो तकरीबन 150 किलोमीटर लंबी यात्रा कर वीरभूम में जाकर भगीरथी में समा जाती है, को मसानजोर में रोककर बांध दिया जाए। इस नदी में संताल परगना की अन्य दूसरी छोटी नदियों के जलस्रोतों के कारण साल भर पर्याप्त जल रहने से इस सहमति पर मयूराक्षी बहुउद्देश्यीय परियोजना के नाम से अंतिम तौर पर मुहर लगा दी गयी और इस निर्णय पर कनाडा सरकार अनुदान व तकनीकी सहयोग देने की सहमति देकर चार चांद लगा दिया।
मयूराक्षी नदी पर बांध का निर्माण 1951 में प्रारंभ हुआ। 1955 के अंत तक नदी तल से 113 फीट ऊंचा और 2150 फीट लंबा बांध बनकर तैयार हो गया। उस वक्त बांध का निर्धारित कमांड एरिया 7,93,600 एकड़ था जो अब सिमट कर 5,60,000 एकड़ रह गया है। इस डैम से पनबिजली भी उत्पन्न करने का निर्णय लिया गया था। तकरीबन 16.11 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना का जलाशय 19,000 एकड़ घने महुआ, मुर्गा के जंगलों को उजाड़ कर बनाया गया था। विडंबना यह कि तत्कालीन बिहार और वर्तमान में झारखंड की जमीन पर बने इस डैम का तमाम प्रशासकीय अधिकार पश्चिम बंगाल सरकार को सौंप दिया गया जिसकी वजह से 21 जल निकासी गेट वाले इस बांध से संताल परगना के लोगों को इसका कोई विशेष लाभ आज भी नहीं मिल रहा है। उलट मसानजोर डैम धीरे-धीरे अब दुमका जिले के लिए अभिशाप बन चुका है।