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वन सुरक्षा के लिए मिले मानदेय

दुमका : वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से शुक्रवार को विभाग के विश्रामागार में प्रमंडलीय कार्यशाला हुई।

By Edited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2015 07:08 PM (IST)
वन सुरक्षा के लिए मिले मानदेय

दुमका : वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से शुक्रवार को विभाग के विश्रामागार में प्रमंडलीय कार्यशाला हुई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वन प्रबंधन समिति को जागरूक करना व पुनर्गठन करना था। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि दुमका के वन संरक्षक एनके सिंह, वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक कुमार व गोड्डा के वन प्रमंडल पदाधिकारी राम भगत साह ने मिलकर किया।

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इस मौके पर राष्ट्रीय विकास संस्थान के निदेशकदेवेंद्रनाथ ठाकुर, संयोजक पीके राय सहित कई वनपाल मौजूद थे। मुख्य अतिथि ने कहा की जंगल में जो छोटे-छोटे पौधे होते हैं वे हमारे संतान की तरह हैं। इसलिए समिति का फर्ज बनता है कि उसका लालन-पालन अपने बच्चों की तरह करें। जंगल में प्राय: ऐसे पौधा लगाये जाने चाहिए जिससे फल, बीज, पत्ते एवं फूल से लाभ मिल सके।

इस मौके पर समितियों के अध्यक्ष ने मानदेय एवं पहचान पत्र देने की माग की। इस पर डीएफओ अभिषेक ने कहा की ऐसे सामाजिक कार्यो के लिए मानदेय की मांग नहीं की जानी चाहिए। जो जंगल आज हमारा है वह कल हमारे बच्चों का होगा। पहचान पत्र निर्गत करने के सवाल पर कहा कि जब जिला में वन प्रबंधन समिति का गठन होता है तो उसकी छायाप्रति सदस्य अपने पास रखें ओर जरूरत पड़ने पर पहचान केरूप में इस्तेमाल करें। कहा कि वन विभाग द्वारा बहुत जल्द ही 1.50 रुपया प्रति पौधा उपलब्ध कराया जाएगा। पौधे अभी नर्सरी में तैयार की जा रही है। इस मौके पर रेंजन एसएन ठाकुर समेत कई पदाधिकारी व प्रमंडल के विभिन्न जिलों से आए समिति के सदस्य उपस्थित थे।

सबको मिलता मानदेय, हमें क्यों नहीं

दुमका : विभिन्न जिलों से आये समिति के अध्यक्षों ने वन विभाग के पदाधिकारियों द्वारा समिति के कई वरीय पदाधिकारी जैसे जिलाध्यक्ष, महाअध्यक्ष को निमंत्रित नहीं किये जाने पर ऐतराज जताया गया। साथ ही उन्होंने कहा की जब ग्रामप्रधान, रोजगार सेवक, पारा शिक्षक को काम के बदले मानदेय दिया जाता है तो हमारे साथ ऐसी बात क्यों नहीं हो सकती है। जबकि हमलोग रात-दिन जंगल की सुरक्षा करते हैं और कभी-कभी हमारी जान पर भी आफत आ जाती है। कहा कि जब किसी असामाजिक तत्व द्वारा जंगल को नुकसान पहुंचाया जाता है और उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं तो उसके साथ-साथ पुलिस पदाधिकारी भी परिचय पत्र की माग करते हैं। ऐसे में विभाग को इस मामले में गंभीरता से पहल करते हुए परिचयपत्र उपलब्ध कराना चाहिए।


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