प्रभु के प्रति समर्पण ही भक्ति
बासुकीनाथ : जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के गरडा अमराकुंडा पंचायत अंतर्गत बरगो गांव स्थित प्राचीन दुर्गा म
बासुकीनाथ : जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के गरडा अमराकुंडा पंचायत अंतर्गत बरगो गांव स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्री श्री भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञानयज्ञ में छठे दिन गुरुवार को कथा व्यास आचार्य अंजनी शरण शास्त्री ने महारास प्रसंग पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान समय में विकृत मानसिकता रखने वाले लोगों ने रास जैसे रसपूर्ण शब्द को नीरस बना दिया है। भागवत से अगर रास को निकाल दिया जाए तो पूरी भागवत रासविहीन यानी रसविहीन हो जायेगी। श्री कहा कि जिस चित्त में वासना हो वह उपासना नहीं कर सकता। इसलिए गोपियां तो उपासना की सिद्धि हैं, प्रेम की पराकाष्ठा है। रासलीला कामलीला नहीं अपितु काममर्दन लीला है। यह भोग की नहीं योग एवं वासना नहीं उपासना की लीला है।
कहा कि विकारग्रस्त चित्त प्रभु की दिव्य लीलाओं के मधुर रस का अनुभव नहीं कर सकता है। जीव जब तक परमात्मा के पूर्णरूपेण शरणागत नहीं हो जाता तब तक गोविंद की प्राप्ति संभव नहीं है। रासलीला भक्त द्वारा पूर्ण समर्पण की कथा का नाम है। गोपियों का अर्थ समझाते हुए व्यासजी ने कहा कि गोपी किसी स्त्री का नाम नहीं अपितु गोविंद के प्रति समर्पण भाव का नाम है। कथा व्यासजी ने उपस्थित भक्तों को कृष्ण-रुक्मणी के विवाह का रोचक प्रसंग सुनाकर अभिभूत कर दिया। उनके सहयोगी ऑर्गन पर रामकृपाल, नाल पर रमेश कुमार, बांसुरी वादन में मनोज पांडेय, तबला में दिवाकर पाडेय साथ दे रहे है।