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धनबाद को मिला अपना विश्वविद्यालय, पर चुनौतियां अब भी कम नहीं

धनबाद में कोयलांचल विश्वविद्यालय के लिए जंग 1984 में शुरू हो चुकी थी। बावजूद इसका लाभ सिर्फ हजारीबाग को मिला था। 17 सितंबर 1992 को विनोबा भावे विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया था।

By Deepak PandeyEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 12:05 PM (IST)
धनबाद को मिला अपना विश्वविद्यालय, पर चुनौतियां अब भी कम नहीं
धनबाद को मिला अपना विश्वविद्यालय, पर चुनौतियां अब भी कम नहीं

तापस बनर्जी, धनबाद: धनबाद में कोयलांचल विश्वविद्यालय के लिए जंग 1984 में शुरू हो चुकी थी। बावजूद इसका लाभ सिर्फ हजारीबाग को मिला था। 17 सितंबर 1992 को विनोबा भावे विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया था। लगातार प्रयासों के बाद आखिरकार धनबाद को भी बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय की सौगात मिल गई। इसकी स्थापना के लिए राज्य सरकार ने इसी वर्ष 23 अप्रैल को गजट अधिसूचना जारी कर दी।

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जानकारों का मानना था कि यह राज्य का पहला विवि होगा, जहां पर पद स्वीकृत कर पीजी संकाय की पढ़ाई शुरू होगी, क्योंकि अब तक कॉलेजों से प्रतिनियोजन कर ही पीजी संकायों को चलाया जाता रहा है। इसी के तहत बीबीएमकेयू में 194 पद सृजन को स्वीकृति मिली थी। पीजी के 21 विभागों में शिक्षकों के 126 पद सृजन को स्वीकृति दी गई। इनमें प्रोफेसर के 21 पद, सह प्राध्यापक के 42 व सहायक प्राध्यापक के लिए 63 पद निर्धारित हैं। बावजूद शिक्षकों के स्वीकृत पदों में ज्यादातर खाली हैं। फिलहाल संविदा पर शिक्षकों को बहाल कर स्नातक और पीजी की पढ़ाई शुरू होगी। स्थायी शिक्षकों के बगैर स्नातक से पीजी तक की पढ़ाई विवि के लिए चुनौतियों भरा काम होगा। इतना ही नहीं, भवनों की कमी के बीच ही पीजी के मौजूदा और नये कोर्स का संचालन करना होगा।

महिला आइटीआइ भवन मिला तो कुछ हद तक मुश्किल आसान: बीबीएमकेयू प्रबंधन ने पॉलीटेक्निक परिसर में वर्षों से बेकार पड़े महिला आइटीआइ भवन को उपलब्ध कराने का आग्रह राज्य सरकार से किया है। राजभवन से इस पर सहमति भी बन चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि यह भवन विवि को मिल जाएगा। यह मुमकिन हुआ तो भवनों की कमी कुछ तक दूर हो सकेगी।

योग और स्पोट्र्स होंगे पाठ्यक्रम में शामिल: बीबीएमकेयू को जुलाई 2020 तक अपना भवन मिल जाएगा। इसके साथ ही विवि को सेंट्रल लाइब्रेरी, सभी विभागों को कंप्यूटर जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। कुलपति डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, विवि में योग और स्पोट्र्स को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

बायोडायवर्सिटी के लिए टिशू कल्चर, एक्जॉटिक प्लांट, मशरूम की खेती, हॉर्टिकल्चर को भी भविष्य में अपनाया जाएगा। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए देशी तकनीक का ट्रायल विभिन्न संस्थानों में चल रहा हैं। धनबाद में केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान संस्थान और आइआइटी आइएसएम इसकी नजीर हैं। बीबीएमकेयू में भी निकट भविष्य में ऐसी संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

ऐसा होगा बीबीएमकेयू

- खर्च - 348.50 करोड़

- भूमि - 24.70 एकड़

नये परिसर में बनेंगे सात भवन

- प्रशासनिक भवन जी प्लस 4, क्षेत्रफल 8549 वर्गमीटर, खर्च 25.42 करोड़

- दो शैक्षणिक भवन जी प्लस 7, क्षेत्रफल 43465 वर्गमीटर, खर्च 87.25 करोड़

- 624 कमरों का लड़कों का हॉस्टल, क्षेत्रफल 18574 वर्गमीटर 53.68 करोड़

- 416 कमरों का छात्राओं का हॉस्टल, क्षेत्रफल 14202 वर्गमीटर, खर्च 38.56 करोड़

- कुलपति बंगला, क्षेत्रफल 651 वर्गमीटर, खर्च 1.55 करोड़

- शिक्षक आवास 2 बीएचके 40 यूनिट, क्षेत्रफल 5065 वर्गमीटर, खर्च 14.26 करोड़

- शिक्षकेत्तर कर्मचारी आवास

1 बीएचके, क्षेत्रफल 4314 वर्गमीटर, खर्च 8.89 करोड़

सेकेंड फेज में

शैक्षणिक ब्लॉक का तीसरा भवन, ऑडिटोरियम, परीक्षा भवन एवं 4 बीएचके के कुछ आवास।

पीजी के इन नये विषयों में शुरू होगी पढ़ाई

लाइफ साइंस- 32 सीटें

मैनेजमेंट स्टडीज- 32 सीटें

मास कॉम- 32 सीटें

इंवायरनमेंटल साइंस- 32 सीटें

आर्ट एंड कल्चर- 64 सीटें

कंप्यूटर साइंस- 32 सीटें

फॉरेन लैंग्वेज- 32 सीटें

बीबीएमकेयू के अधीन कॉलेजों की स्थिति

पीके राय मेमेरियल कॉलेज: तकरीबन 13 हजार छात्र-छात्राओं वाले इस कॉलेज में पहले से ही जगह व भवनों का अभाव है। अब इसे विवि का पीजी सेंटर बनाने से यह परेशानी और बढ़ गई है। सेकेंड कैंपस के लिए 15 एकड़ जमीन का आग्रह किया गया है, पर अब तक प्रस्ताव फाइल से बाहर नहीं निकल सका है।

पीके राय कॉलेज के सेकेंड कैंपस के लिए प्रस्तावित योजनाएं

- 10 हजार वर्ग फीट का तीन मंजिला पुस्तकालय एवं तीन हजार वर्ग फीट का पुस्तकालय संगोष्ठी भवन

- 15 हजार वर्ग फीट का सभागार

- 200 छात्र व 500 छात्राओं के लिए तीन मंजिला छात्रावास

- अनुसंधान कर्मियों के लिए हॉस्टल

- अतिथिगृह

- केंद्रीय संसाधन सुविधा केंद्र

- छात्रों के लिए कैंटीन व कॉमन रूम

- आधुनिक प्रयोगशाला

- लेक्चर के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग स्टूडियो

- कंवोकेशन हॉल

- आउटडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स

- रिजनल लैंग्वेज एंड कल्चरल सेंटर

- स्टूडेंट्स फैसिलिटेशन सेंटर

- वोकेशनल स्टडीज सेंटर एंड इंक्यूबेशन सेंटर

- प्रशासनिक भवन

- पीजी की पढ़ाई व विभिन्न विभागों के शोध के लिए एकेडमिक भवन

- कौशल विकास केंद्र व प्रसंस्करण केंद्र

एसएसएलएनटी महिला कॉलेज: सेकेंड कैंपस का प्रस्ताव अब तक फाइलों में ही कैद है। मौजूदा कैंपस में 10 हजार से अधिक छात्राएं होने के कारण इस कॉलेज के लिए सेकेंड कैंपस जरूरी भी है।

आरएस मोर कॉलेज, गोविंदपुर: यहां पीजी भूगोल की पढ़ाई को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया था। पर इस सत्र में मंजूरी नहीं मिली। उम्मीद की जा रही है कि अगले सत्र से इसे स्वीकृति मिल जाएगी।

आरएसपी कॉलेज तक नहीं है बस की सुविधा: आरएसपी कॉलेज झरिया के बेलगडिय़ा में स्थानांतरण के बाद भी कॉलेज के पास अब तक अपना न तो भवन है और न ही जमीन। यूजीसी और नैक से मान्यता में इस वजह से तकनीकी परेशानी होगी। शहर से कई किलोमीटर दूर शिफ्ट होने के बाद भी इस कॉलेज तक पहुंचने के लिए परिवहन सुविधा बहाल नहीं हुई है। छात्राओं ने कई बार सड़क पर उतर कर आंदोलन भी किया। इसके बाद भी बस सुविधा को लेकर पहल नहीं की गई।

उच्च शिक्षा में 75 फीसद बेटियां : डॉ. मुनमुन शरण

राज्य बनने के 18 सालों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। खास तौर पर बेटियों की शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। स्नातक से पीजी स्तर की शिक्षा में अब लड़कियों को लड़कों को काफी पीछे छोड़ दिया है। राज्य के अन्य जिलों की तुलना में धनबाद में इसका ग्राफ सबसे बेहतर है।

पीके राय कॉलेज के अर्थशास्त्र प्राध्यापक डॉ. मुनमुन शरण के अनुसार, उच्च शिक्षा में झारखंड का ग्रॉस इनरोलमेंट रेसियो आठ प्रतिशत है जबकि धनबाद में यह 11 प्रतिशत है। हजारीबाग और रांची की तुलना में यहां के ग्रॉस इनरॉलमेंट रेसियो के बेहतर होने का कारण आइआइटी आइएसएम, बीआइटी सिंदरी, पीएमसीएच सहित अन्य उच्च शिक्षण संस्थान हैं।

छात्राओं के रेसियो बेहतर होने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि उन्हें तीन प्रतिशत का ग्रेस मिलता है। यानी अगर किसी छात्रा ने 65 फीसद अंक प्राप्त किये हैं तो उसे दाखिला के दौरान 68 फीसद का लाभ मिलेगा।

गुरुनानक कॉलेज में पीजी के तीन नये कोर्स की पढ़ाई: पी शेखर

विवि के तीन नये विषयों की पढ़ाई फिलहाल गुरुनानक कॉलेज में होगी। इनमें भूदा विंग में जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन तथा फॉरेन लैंग्वेज कोर्स पढ़ाए जाएंगे। आर्ट एंड कल्चर की पढ़ाई गुरुनानक कॉलेज बैंक मोड़ में होगी। प्राचार्य प्रो. पी शेखर के मुताबिक, इसके लिए आधारभूत संरचना विकसित कर लिया गया है। छात्र-छात्राओं को यहां सभी सुविधाएं मिलेंगी।


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