कोडरमा में महागठबंधन के साथ माले का घमासान, धनबाद पर जल्द होगा फैसला
निरसा विधायक अरूप चटर्जी व व भाकपा माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने सोमवार को संयुक्त रूप से कहा कि भाकपा माले व मासस हमेशा चाहती है कि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा नहीं हो।
जागरण संवाददाता, धनबाद: मार्क्सवादी समन्वय समिति के निरसा विधायक अरूप चटर्जी व व भाकपा माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने सोमवार को संयुक्त रूप से कहा कि भाकपा माले व मासस हमेशा चाहती है कि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा नहीं हो। पूरे देश की राजनीति इस वक्त करवट ले रही है कि किसी तरह से भाजपा को परास्त किया जाय। हम लोग भी इसी मुहिम के साथ हैं। वे दोनों धनबाद स्थिति गांधी सेवासदन में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
विनोद सिंह ने कहा कि महागठबंधन को बैठकर सीटों पर फैसला करना होगा। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने पहले आग्रह किया था कि कोडरमा की सीट माले के लिए छोड़ दी जाए। माले वहां लगातार संघर्ष करती रही है और पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही है। यह भी तय हुआ था कि फर्स्ट और सेंकेंड के तहत जो फार्मूला तय हुआ है, उसी तर्ज पर राजनीति तय होनी चाहिए। हमारे हर जिले में कैडर का आधार वोट बैंक है। पिछले बार जेवीएम कोडरमा में तीसरे नंबर पर रही थी।
महागठबंधन में लेफ्ट को शामिल नहीं किया तो भाजपा को होगा फायदा: सिंह ने कहा कि अगर महागठबंधन में लेफ्ट को शामिल नहीं किया गया तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। वाम दल ने तय किया है कि भाजपा को हराने वाली पार्टी को ही समर्थन करेगी।
धनबाद में मासस एक सप्ताह में तय करेगी रणनीति: निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि लेफ्ट की बातचीत महागठबंधन से हुई है। सारी शर्त रख दी गई है। एक सप्ताह के अंदर केंद्रीय कमेटी की बैठक के बाद धनबाद लोकसभा से लड़ेंगे या नहीं, इसका फैसला हो जाएगा। चुनाव लडऩा होगा तो एक सप्ताह के अंदर ही प्रत्याशी भी घोषित कर दिए जाऐंगे। वैसे सारी स्थितियों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि वैसे कोडरमा सीट पर माले की मजबूत दावेदारी बनती है।
मोदी सरकार की नीति स्पष्ट नहीं: विनोद सिंह ने केंद्र व राज्य सरकार पर निशाना साधा। कहा- पांच सालों में केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार ने अपनी नीयत दिखा दी। पार्टी के खिलाफ पूरे देश में विक्षोभ का माहौल है।वहीं झारखंड ऐसा राज्य है, जहां पिछले 5 सालों तक सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा विरोध में सड़कों पर किसानों का खून बहा, पारा शिक्षकों के खून में अनुबंध कर्मियों के ऊपर हमले हुए। इन सब मुद्दों को लेकर भाकपा माले सड़क पर और संसदीय राजनीति में भी भाजपा के खिलाफ मजबूत ढंग से जनता के बीच आवाज उठाती रही है।विनोद सिंह ने कहा सरकार की दोहरी नीति है। मुआवजा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। गैस पाइप बिछाने के नाम पर किसानों को फसल क्षतिपूर्ति का लाभ दिया जा रहा है, जो गलत है। मनरेगा की मानदेय वृद्धि एक रुपया हुई। जबकि महंगाई चरम पर है। प्रवासी भारती जो बाहर रोजगार के लिए जाते हैं, उनकी मौत पर मुआवजा तक नहीं दिया जा रहा है। कई सवाल हैं जो जनता तक जोरदार ढंग से पहुंचाए जाएंगे।