क्यों ट्रेड यूनियन से दूर हो रहे मजदूर
जामाडोबा : जियलगोरा सभागार में चल रहे दो दिनी इंडियन नेशनल माइंस वर्कर्स फेडरेशन के महासम्मेलन के
जामाडोबा : जियलगोरा सभागार में चल रहे दो दिनी इंडियन नेशनल माइंस वर्कर्स फेडरेशन के महासम्मेलन के समापन पर सोमवार को अध्यक्षता कर रहे मुख्य अतिथि एलएन भट्टाचार्य ने कहा कि सोचिये, आखिर ट्रेड यूनियनों से मजदूर दूर क्यों हो रहे हैं। कई फेडरेशन विदेश के पैसे से पांच सितारा होटलों में सेमिनार करते हैं। उनको मजदूरों के दर्द का क्या पता। बस यही कारण है कि मजदूर ट्रेन यूनियन से दूर हो रहे हैं। यदि मजदूरों की समस्याओं पर इमानदारी से लड़ा जाये तो मजदूरों का भरोसा कायम रहेगा।
श्रमिक नेता ललन चौबे ने कहा कि एनडीए सरकार मजदूर विरोधी है। सभी श्रम कानूनों में बदलाव की तैयारी है। सभी ट्रेड यूनियन मजदूर हित में एक मंच पर आयें। मजदूरों का हक कोई सरकार नहीं मार सकती। असंगठित मजदूर और खेतिहर मजदूरों की उन्नति को पूरे देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है। आउटसोर्सिंग मजदूरों को उनका हक दिलायेंगे। कहा कि मजदूर हितों के लिये हम सड़क से संसद तक लड़ने को तैयार हैं। शमशेर आलम ने कहा कि हवाई जहाज में चलने वाले व एसी में बैठने वाले मजदूरों के हितैषी नहीं हैं। ये तो प्रबंधन के पास मजदूर हितों को गिरवी रख देते है। वीरेन्द्र कुमार भाला, मुख्तार खान, राजकुमार यादव, कौशिक घोष, मोनिता घोष, राजेंद्र यादव, शिशिर पाल, रमाकांत चौबे, मनोज कुमार राय, संजय शंकर, आरएस तिवारी, साबर लाल बारी, चंदन ¨सह, पीएन राजू, राजू झा, मुन्ना जायसवाल, वीरेन्द्र गुप्ता, एके भट्टाचार्य, समेत अनेक लोग थे। सीसीएल, डब्लूसीएल, एसइसीएल, एमसीएल, इसीएल, एनसीएल, टिस्को, इस्को, बीसीसीएल, उरीबा माइंस, रामपुरा अगुया माइंस, नावामुंडी, मेटल माइंस, मार्बल माइंस के प्रतिनिधियों से सभागार भरा था। संख्या बल ठीकठाक होने से आयोजक गदगद दिखे।
भट्टाचार्य बने अध्यक्ष और ललन महासचिव : सम्मेलन के समापन पर श्रमिक प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से एलएन भट्टाचार्य को फेडरेशन का अध्यक्ष चुना। वहीं करतल ध्वनि के बीच ललन चौबे महासचिव चुने गये। दोनों ने बताया कि जल्द ही कमेटी का विस्तार कर देंगे।
चौदह प्रस्ताव हुए पारित : जनरल काउंसिल की बैठक में चौदह प्रस्ताव पारित हुए। इनमें समान काम का समान वेतन, मुनाफे में चलने वाले सार्वजनिक क्षेत्र में विनिवेश को बंद करने, असंगठित, खेतिहर मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा, स्थायी कार्य से ठेकेदार प्रथा समाप्त करने समेत चौदह मुद्दे उठाये गये।