अंतरप्रांतीय ठग गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार
जासं, धनबाद : टीवी चैनल पर बतौर विज्ञापन दिखाए गए क्लिप 'चेहरा पहचानो, लाखों का इनाम जीतो' की आड़ में
जासं, धनबाद : टीवी चैनल पर बतौर विज्ञापन दिखाए गए क्लिप 'चेहरा पहचानो, लाखों का इनाम जीतो' की आड़ में ठगनेवाले एक अंतरप्रांतीय गिरोह का खुलासा हुआ है। बैंकमोड़ व भूली पुलिस ने सोमवार को होटल ब्लू मून नया बाजार से दो बदमाशों सुमित उर्फ पंतजलि शास्त्री व सुजीत सिंह को गिरफ्तार किया है। उनके पास से एक कार समेत दस मोबाइल फोन, एक लैपटाप, 17 बैंक पासबुक, पांच वोटर कार्ड, सात पेनकार्ड, छह से अधिक फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, मनीआर्डर फार्म, लिफाफा और तीन किलो लोहे की अंगूठी बरामद हुई है। दोनों शातिर नवादा बिहार के रहनेवाले है।
उनकी निशानदेही पर पुलिस ने केंदुआडीह इलाके में छापेमारी कर फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड बनानेवाले दो युवकों रविन्द्र कुमार व चंदन कुमार को गिरफ्तार किया है। दोनों बदमाशों के पास से फर्जी लाइसेंस बरामद किए गए हैं।
डीएसपी डीएन बंका ने कहा कि इस गिरोह के सदस्यों की तलाश कई महीनों से की जा रही थी। धनबाद को सेफ जोन के तौर पर चुना गया था और यहां से देशभर के लोगों को ठगा जाता था। ठगी के तरीके भी अजीबो गरीब थे। गिरोह ने सुंदरगढ़ ओडिशा के पोस्टऑफिस में भी खाता खुलवाया था। उनके पास से बरामद दस्तावेज व चीजों से उनके कारनामे का खुलासा हो गया है। उनके लैपटॉप से भी कई सुराग मिलने की उम्मीद है। केंदुआ से धराए शातिरों की कंप्यूटर प्रिंटआउट की एक दुकान है। यहीं फर्जी लाइसेंस बनाया जाता था। गिरोह के सदस्य कई बैंकों में खाता खोलकर एटीएम कार्ड प्राप्त करते थे।
ऐसे बनाते थे बेवकूफ : पुलिस के अनुसार अपराधी विभिन्न नाम से पहले चेहरा पहचानो, फिर इनाम जीतो का विज्ञापन टीवी चैनल पर देते थे। जब लोग दिए हुए नंबर पर फोन करते तो शातिर उनका मोबाइल नंबर नोट कर लेते थे और बाद में उस नंबर पर फोन कर बड़े-बड़े इनाम का ख्वाब दिखाते थे। इनाम देने के पहले टैक्स जमा करने को कहते थे। लोग उनके बताए खाते में टैक्स जमा कर देते थे, यानी ठग लिए जाते थे। गिरोह को पकड़ने में बैंकमोड़ के थानेदार अशोक सिंह व भूली प्रभारी अमित गुप्ता के नेतृत्व में टीम बनी थी जिसमें सिविल दस्ते के सदस्य भी शामिल थे। इस टीम की मानीट¨रग का जिम्मा डीएसपी डीएन बंका पर था।
पोस्टऑफिस कर्मियों से थी सेटिंग : फोन पर लोगों को इनाम जीतने और इनाम की राशि पोस्टऑफिस से उनके घर तक भेजने के नाम पर भी ठगी की जाती थी। चेक के नाम पर लिफाफे में सोने का पानी चढ़ा लोहे की अंगूठी व अखबार की कतरन भेजी जाती थी। लिफाफा छुड़ाने के लिए लोगों को तीन हजार रुपया देना पड़ता था। यह पैसा सुमित के नाम से ओडिशा के एक डाकघर में जमा होता था जहां से वह आसानी से पैसा निकाल लेता था। शातिरों ने कहा है कि राजस्थान, यूपी, दिल्ली, कोलकाता समेत कई राज्यों के लोगों को ठग चुके हैं। उनके पास से एसबीआइ धनबाद के सात, पंजाब नेशनल बैंक के तीन, बैंक आफ बड़ौदा का एक व बैंक ऑफ इंडिया के तीन पासबुक बरामद किए गए हैं।
------------------
-
एक इंस्पेक्टर को भी बनाया था निशाना
दुर्गापुर में पदस्थापित सीआरपीएफ इंस्पेक्टर त्रिपुरारी सिंह भी इस गिरोह के शिकार बने थे। उन्हें 13 हजार दो सौ रुपये का चूना लगाया गया था। पैसे की निकासी एक स्थानीय बैंक से की गयी थी। उन्होंने इसकी शिकायत बैंकमोड़ थाने में की थी। उन्हें सलमान खान का चेहरा पहचानने के लिए कहा गया था। इंस्पेक्टर ने फोन पर सही जबाब दिया तो बदमाशों ने इनाम में सफारी मिलने की बात कही। इसके लालच में इंस्पेक्टर ने टैक्स के तौर पर 13 हजार दौ सौ रुपया उनके बताए खाते में जमा कर दिया था। फिर बदमाशों ने अपना मोबाइल स्विच आफ कर लिया था।