मजदूर राजनीति में बलमुचू देंगे राजेन्द्र को चुनौती
जागरण संवाददाता, धनबाद : कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य प्रदीप बलमुचू कांग्रेस की
जागरण संवाददाता, धनबाद : कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य प्रदीप बलमुचू कांग्रेस की राजनीति के साथ-साथ अब कोयला मजदूरों की राजनीति में भी पूर्व मंत्री व इंटक के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र प्रसाद सिंह को चुनौती देंगे। साथ ही पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक से बिदके उनके पुराने समर्थक कांग्रेसी नेताओं की भी अगुवाई करेंगे। इसकी पृष्ठभूमि रविवार को धनबाद में तैयार हो गई है। इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस(इंटक) एवं राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ(राकोमसं) की ललन चौबे गुट द्वारा पेश की गई इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन का नेतृत्व थामने की पेशकश को स्वीकार कर बलमुचू ने अपना एजेंडा तय कर दिया है। साथ ही मन्नान के राजेन्द्र से हाथ मिलाने से नाराज कांग्रेसी नेताओं को भी अपना नेतृत्व देने का भरोसा देकर स्पष्ट कर दिया है कि कोयलांचल की कांग्रेसी राजनीति में भी वे अब सीधे हस्तक्षेप करेंगे।
दिल्ली जाने के क्रम में बलमुचू रविवार की शाम सर्किट हाउस पहुंचे तो हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस एवं उसके मजदूर संगठन में गरमाहट आ गयी। इंटक नेता ललन चौबे अपनी टीम के साथ पहले से मुस्तैद थे। चौबे एवं करीब एक दर्जन मजदूर नेताओं के साथ बलमुचू की वार्ता हुई। चौबे ने उन्हें बताया कि कोयला मजदूरों की हालत बहुत ही खराब है। आउटसोर्सिग कंपनी चलाने वाले ठेकेदार नेता उनके मसीहा बनने का स्वांग रच प्रबंधन की दलाली कर रहे हैं। ऐसे में कोयला मजदूरों के हितों की रक्षा करने के लिए आपका नेतृत्व जरूरी है। 30 एवं 31 अगस्त को धनबाद में फेडरेशन का राष्ट्रीय अधिवेशन होने वाला है। अधिवेशन में शामिल होकर उसका नेतृत्व करें। बलमुचू ने अधिवेशन में शामिल होने की घोषणा करते हुए कहा कि वे कोयला मजदूरों की लड़ाई लड़ेंगे। इसके बाद बलमुचू ने कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर कहा कि वे उनके हर आंदोलन में साथ रहेंगे। बैठक में दिनेश उर्फ डुंगुर सिंह, मदन महतो, शमशेर आलम, मतलूब हाशमी, मनोज यादव,पंकज राय, साबिर अली, तौसिफ राजा, कार्तिक घोष, विकास मुखर्जी, प्रीतम रवानी समेत कई नेता मौजूद थे।
ं मजदूरों को सोचना होगा कौन है उनका हितैषी
बलमुचू ने बाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इंटक विवाद से कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। जब वे प्रदेश अध्यक्ष थे, इस विवाद को सलटाने की कोशिश की थी। लेकिन कुछ लोग इस विवाद को बनाए रखना चाहते हैं। इंटक के तीन-तीन गुट राजेन्द्र, चौबे व ददई हो गए हैं। लेकिन मजदूरों को सोचना होगा कि कौन नेता उनका असली हितैषी है।
सदन नहीं चलने देने की परंपरा भाजपा ने शुरू की थी
बलमुचू ने कहा कि मंत्रियों के इस्तीफे के नाम पर संसद नहीं चलने देने की परंपरा भाजपा ने शुरू की थी। पिछली सरकार में टू जी एवं कोल गेट को लेकर सदन नहीं चलने देना इसका उदाहरण है। ललित मोदी को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया एवं व्यापम घोटाले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इस्तीफे के बिना संसद चलने नहीं दिया जाएगा।