हिंदू संस्कृति के अनन्य पुजारी थे मालवीयजी
जागरण संवाददाता, धनबाद : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदनमोहन मालवीय हिंदू धर्म और संस्कृति के अनन्य पुजारी थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत मां की सेवा में समर्पित किया था। जितने वे उदार, विनम्र, निराभिमानी एवं मृदु थे, उतने ही संयमी, दृढ़, स्वाभिमानी एवं अविचल योद्धा भी थे। कुछ इसी अंदाज में वरीय पत्रकार एवं राज्य सभा सदस्य डॉ.चंदन मित्रा ने पं.मदन मोहन मालवीय जी को नमन किया। मौका आइएसएम के गोल्डेन जुबली व्याख्यान सभागार में आयोजित कार्यशाला सह व्याख्यानमाला का। प्रबंधन विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ.चंदन मित्रा, विशिष्ट अतिथि सांसद पीएन सिंह, पीबीके चरन, प्रो.जेके पटनायक, डॉ.पी.पाठक एवं डॉ.सौम्या सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद प्रबंधन प्रथम वर्ष की छात्राओं निशा एवं नुपुर ने प्रबंधन गीत प्रस्तुत किया। विभागाध्यक्ष जेके पटनायक एवं डॉ.पी पाठक ने अतिथि परिचय कराया।
मुख्य अतिथि डॉ.मित्रा ने कहा कि मदनमोहन मालवीय महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद ही नहीं, बल्कि एक बड़े समाज सुधारक भी थे। हिन्दू राष्ट्रवाद के समर्थक मदन मोहन मालवीय देश से जातिगत बेड़ियों को तोड़ना चाहते थे। उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश निषेध की बुराई के खिलाफ देशभर में आंदोलन चलाया।
सांसद पीएन सिंह ने कहा कि पं.मदन मोहन मालवीय के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को हम भुला नहीं सकते। उन्होंने भारत में दर्शन, विज्ञान, तकनीकी, चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षण हेतु काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की और शिक्षा विशेषज्ञ डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे विद्वान को कुलपति का पद प्रदान किया, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई।