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हिंदी को अब दुनिया दे रही मान : गुरुदीप

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 09:08 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 09:08 PM (IST)
हिंदी को अब दुनिया दे रही मान : गुरुदीप

जामाडोबा : हिंदी भाषा तो हिंदुस्तान के लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य करती है। जिस परिवार, समाज व देश में हिंदी स्थापित हो जाती है। वहां कलियुग का प्रभाव नहीं होता है। हमें हिंदी बोलना व हिंदी के लिए ही सोचना चाहिए। केवल हिंदी पखवारा मनाने से विकास नहीं होगा। उक्त बात विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुरदीप सिंह ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट एंड माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च डिगवाडीह में आयोजित हिंदी पखवारा के शुभारंभ पर कहीं।

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कहा कि अमेरिका सहित कई देश के लोग भी हिंदी बोलने में रुचि रखते हैं। पर हमारे यहां के नौजवान हिंदी से दूर हो रहे हैं। हिंदी फिल्मों को मातृ भाषा के प्रचार-प्रसार का बेहतर माध्यम बताया। जापान दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदी में भाषण देकर देश का मान बढ़ाया उनका यह कदम सराहनीय है।

सिंफर के निदेशक डॉ. अमलेंदु सिन्हा ने कहा कि तकनीक संपन्न देश रूस, जापान, फ्रांस जब अपनी भाषा में वैज्ञानिक शोध कर दुनिया में तरक्की करते हैं। तो भारत के लोग हिंदी में वैज्ञानिक सोच के माध्यम से क्यों नहीं तरक्की कर सकते हैं। अपनी मातृभाषा का विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग किए बिना हम दुनिया में शिखर तक नहीं पहुंच सकते हैं। सिंफर में कर्मियों के हिंदी में कार्य करने की सराहना की। सिंफर की उपलब्धियों पर हिंदी में पुस्तक भी जल्द प्रकाशित होगी। रांची कॉलेज रांची के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. जेवी पांडेय ने संस्कृत में श्लोकों का प्रवाह कर संबोधित किया। स्वागत डॉ. एलसी राम, संचालन एमएम पांडेय व धन्यवाद एस विश्वास ने दिया।

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दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा हिंदी : प्रो. पांडेय

जामाडोबा : रांची कालेज के विभागाध्यक्ष जेवी पांडेय ने कहा कि दुनिया में हिंदी बोलने वालों का संख्या काफी है। हिंदी बोलने वालों की संख्या के आधार पर हमारी भाषा तीसरे नंबर पर है। पहले पायदान पर अंग्रेजी व दूसरे पर चीनी भाषा है। विश्व के 95 देशों में हिंदी बोलने वाले हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन में हिंदी में अपना भाषण दिया था। हिंदी के लिए संयुक्त राष्ट्र में हमें मजबूती से खड़े होने की जरूरत है। प्रो. पांडेय एक दर्जन से अधिक देशों का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने 21 किताबें भी लिखी हैं। एक किताब सिंफर निदेशक को भी भेंट की।


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