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झरिया में अच्छे दिन की जगी उम्मीद

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 09:08 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 09:08 PM (IST)

जासं, झरिया : 21 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रांची आये ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एक सौ वर्ष से दहकती झरिया की आग को नियंत्रित किया जायेगा। उनके बयान ने भूमिगत आग से जूझ रहे झरिया की आवाम में उम्मीद की किरण जगाई है। हालांकि लोगों का यह भी कहना है कि पहले धरातल पर काम तो दिखे। क्योंकि आग बुझाने का सपना तो पहले भी दिखाया गया पर धरातल पर काम नहीं दिखा।

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झरिया की आग को नियंत्रित करने का कोयला राज्यमंत्री का बयान सकारात्मक है। माकपा नेत्री वृंदा करात व स्मिता गुप्ता ने झरिया की आग व विस्थापन का मामला राज्य मंत्री तक पहुंचाया था। नई विस्थापन नीति व झरिया की आग को नियंत्रित करने की बात स्वागत योग्य है। पर जो बात कही गई इसे धरातल पर भी दिखाना होगा।

अशोक अग्रवाल, झरिया कोलफिल्ड बचाओ समिति

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कोयला राज्यमंत्री के बयान से झरिया के लोगों को राहत मिली है। पर, दुख की बात यह है कि सरकार की नीतियों के साथ यहां बीसीसीएल खड़ा नहीं दिखता है। यूपीए सरकार ने भी झरिया को लेकर नीतियां बनायी थी। लेकिन बीसीसीएल ने उन पर काम नहीं किया। झरिया की आग बुझाने के कारगर उपाय नहीं दिखे।

शिव बालक पासवान, सीटू राज्य कमेटी सदस्य

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झरिया के प्रति केंद्र की पूर्व सरकारे उदासीन ही रहीं। जितने भी आश्वासन मिले वे पूरे नहीं हुए। ऐसे में केंद्र की भाजपा सरकार के कोयला मंत्री का झरिया की आग को नियंत्रित करने व नई विस्थापन नीति बनाने का बयान लोगों में आशा की किरण जगा गया है।

मणिशंकर केसरी, पूर्व अध्यक्ष धनबाद जिला चैंबर ऑफ कामर्स

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झरिया में एक सौ वर्ष अधिक समय से आग लगी है। आग को बुझाने की बात दशकों से सुनते आ रहे हैं। लेकिन आग बुझ नहीं रही है। बीसीसीएल यहां की आग पर काबू पाने का दावा करता है। लेकिन सच्चाई अलग है। अगर बीसीसीएल ने सचमुच अधिकांश जगहों पर आग को काबू में कर लिया है तो यहां के लोगों के विस्थापन की जरूरत क्या है। केंद्रीय कोयला मंत्री का दोनों बयान महत्वपूर्ण हैं। बशर्ते धरातल पर काम दिखे।

माधवी सिंह, पुत्रवधू झरिया राज परिवार


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