उपेक्षा का शिकार बना बाल विकास परियोजना
करौं (देवघर) : प्रखंड परिसर स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यहां पिछल
करौं (देवघर) : प्रखंड परिसर स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यहां पिछले छह साल से सीडीपीओ का पद रिक्त है। यह कार्यालय प्रभार में ही चल रहा है। पर्यवेक्षिका व कर्मियों की कमी के कारण कार्यालय जैसे-तैसे चल रहा है। परियोजना के तहत 87 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होते हैं। इसके माध्यम से पूरक पोषाहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा आदि सेवाएं बच्चों तक पहुंचाई जाती है।
उद्देश्य से भटका परियोजना
0 से 6 वर्ष के बच्चों का पोषण एवं स्वास्थ्य स्थिति में सुधार, बच्चों में उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक व सामाजिक विकास के लिए डालना, शिशु- मातृ दर में कमी लाना, बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषयों में सामंजन स्थापित करना, बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी समस्याओं को समझाने व उचित देखभाल के लिए माताओं को जानकारी देना आदि उद्देश्यों को लेकर परियोजना कार्यालय के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। लेकिन केंद्रों में बच्चों की नियमित उपस्थिति कम देखी जाती है। इन केंद्रों का पर्यवेक्षण करने के लिए मात्र दो पर्यवेक्षिका कार्यरत हैं, जो पर्यवेक्षण करने के नाम पर घर में आराम फरमाती है। सिर्फ प्रखंड दिवस के दिन ही पर्यवेक्षिका कार्यालय में दिख जाती है। कार्यालय में सहायक नहीं रहने के कारण कार्य निष्पादन में काफी परेशानी होती है। सीडीपीओ का प्रभार बीडीओ को मिला है। काम की अधिकता के कारण वे इस कार्यालय को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। इसके कारण कार्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र में सिर्फ खानापूर्ति होती है।
वर्जन
परियोजना कार्यालय की स्थिति के बारे में जिला के पदाधिकारी को अवगत करा दिया गया है। कर्मियों की कमी के कारण परेशानी हो रही है। इसके बावजूद बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जाता है।
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अखिलेश कुमार, बीडीओ सह प्रभारी सीडीपीओ