आतंक के साये में कटती जिंदगी
देवघर : आवारा पशुओं के आतंक से गली-मोहल्लों और सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। पांच महीना पहले भी य
देवघर : आवारा पशुओं के आतंक से गली-मोहल्लों और सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। पांच महीना पहले भी यह अभियान चला था, तब निगम प्रशासन की नींद इस बात को लेकर खुली कि अभियान चलाकर ऐसे पशुओं को काजी हाउस भेजा जाएगा और टीकाकरण कराया जाएगा। लेकिन, नागरिकों को सुविधा देने की बात निगम प्रशासन भूल गया।
शहर के विलासी, छत्तीसी, शिवगंगा तट, नंदन पहाड़ रोड, डढ़वा नदी, स्टेशन एवं अस्पताल में तो झूंड में आवारा कुत्ते दिख जाते हैं। बरमसिया चौक से अंबेदकर तक या कह लें कि विधु भूषण सरकार रोड, परमेश्वर दयाल रोड में भी इनका आतंक है। रात को अकेले गुजरना हो तो दिल सहम जाता है। यदि मोटरसाइकिल से गुजरे तो वह आपको निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। सब्जी मंडी में गाय से भी लोग परेशान रहते हैं। त्रिकुट पर्वत पर रह रहे बंदर कभी कभी पर्यटकों को अपना शिकार बना लेते हैं। सरकारी अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ सदर में प्रतिदिन औसतन दर्जनभर लोग रेबीज का टीका लेने आते हैं। इसकी संख्या कभी कभार बढ़ जाती है क्योंकि बिहार की सीमा से सटे होने के कारण आसपास के पीड़ित भी पहुंचते हैं।
निगम प्रशासन ने नहीं की पहल
आवारा पशु चाहे गाय, भैंस, कुत्ता या बंदर ही क्यों न हो, इन्हें रखने के लिए काजी हाउस का निर्माण आज तक नहीं हुआ। कई बार इसकी आवाज उठी, तीर्थनगरी होने के नाते ज्यादा फोकस करने की कोशिश भी नकारा साबित हुआ। निगम की यह जिम्मेदारी है कि वह अभियान चलाकर ऐसे आवारा पशुओं को निर्धारित स्थान पर रखे। केवल पानी, होल्डिंग टैक्स, सड़क, नाला, कचरा को शहर से बाहर फेंकने का ही जिम्मा नहीं है। नागरिक सुविधा में यह भी उतना ही जरूरी है कि आवारा आतंक शहर में नहीं हो।
शहर में तीन हजार आवारा पशु
एक अनुमान के तहत विभाग का दावा है कि यहां तीन हजार के करीब आवारा पशु शहर व उसके आसपास घूमते नजर आते हैं। इतनी बड़ी तादाद होने के कारण ही गाय, बकरी एवं अन्य पांच सौ ऐसे जानवर हैं जिनका पशुपालन विभाग महीना में टीकाकरण करता है।
बच गयी थी बालक की जान
घटनाएं बोलकर नहीं आती है। अप्रैल माह की बात है जब पालोजोरी के बांधडीह का रहने वाला 12 वर्षीय शाहनवाज के साथ दर्दनाक हादसा हो गया। आवारा कुत्ता ने उसके जांघ को लहुलुहान कर दिया। वह नदी में नहाने गया था, अकेला देख उसपर कुत्ते टूट पड़े, लेकिन वह किसी तरह जान बचाकर वह भागा। लोगों ने देख लिया और जानवर को खदेड़ कर भगा दिया। लोग बताते हैं कि कडरासोल में ही कुछ ऐसा ही हुआ। एक चालक ने अपना वाहन निकाला और घर से कुछ दूर गया ही था कि कुत्तों ने शिकार बनाना चाहा, भागने की कोशिश की, तब तक हाथ पर वार कर दिया।
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काजी हाउस नहीं है लेकिन उसका निर्माण कराने की योजना है। अभी तक अभियान नहीं चला है, रांची नगर निगम में यह चलाया जा रहा है। पशुपालन विभाग के सहयोग से आवारा पशु पर अंकुश को अभियान चलाया जाएगा। उपकरण का क्रय किया जाएगा।
निगम प्रशासन
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छह महीना के दौैरान तीन बार अभियान चलाया गया है। त्रिकुट में एक बंदर से लोग परेशान थे तो उसे पकड़कर ओरमांझी भेज दिया गया। अभी एक महीना पूर्व बजरकीट नामक जानवर को पकड़कर जंगल में छोड़ा गया। तो वन विभाग यह अभियान समय समय पर करता रहता है, ताकि लोगों को कोई परेशानी नहीं हो।
ममता प्रियदर्शी, डीएफओ।
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इनसेट
कुत्ता काट ले तो तुरंत करें चिकित्सक से संपर्क
जीवन अनमोल है उसकी रक्षा करना सही मायने में खुद की जरूरत है। बद मिजाजी कुत्ता से सावधान रहने की जरूरत है। कोशिश भी लोग करते हैं लेकिन वह शिकार हो जाते हैं। क्योंकि प्रशासनिक स्तर पर कुछ भी इंतजाम नहीं है, उन आवारा पशुओं पर प्रतिबंध को।
सदर अस्पताल में एंटी रेबीज की कमी नहीं
शहर में आवारा जानवर की संख्या करीब पांच हजार के करीब है। लेकिन शुक्र है कि सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में एंटी रेबीज उपलब्ध है। अनुमान लगाना आसान है कि प्रतिदिन जिला में तीस से पैंतीस पीड़ित रेबीज की सूई लगाने आते हैं। केवल सदर अस्पताल के ओपीडी का रजिस्टर इस बात का गवाह है कि पांच से दस केस प्रतिदिन आते हैं।
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चिकित्सक से करें संपर्क
कोई भी कुत्ता या बंदर आपको काट ले तो तुरंत नजदीक के चिकित्सक से संपर्क करें। यह अलग बात है कि उसका वायरल तेज धूप में समाप्त हो सकता है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं कि वह कितनी तेजी से फैल जाएगा। खुराक होती है, चिकित्सकीय परामर्श के हिसाब से टीका ले लेना चाहिए। लोग प्रोफेशनल हैं सो, पोस्ट रेबीज ले लेते हैं। एक बार पूरा डोज लेते हैं उसके बाद हर साल एक डोज एक निर्धारित समय पर ले लेते हैं।
डॉ. पंकज कुमार सिन्हा
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तेज धार वाले पानी से धोना चाहिए
कुत्ता के काटने पर सबसे पहले तेज धार वाले पानी से उस जगह को बार बार साबुन से धोना चाहिए। घाव को खुला रखना चाहिए, उसका स्टीच नहीं कराना चाहिए। प्राथमिक तौर पर इतना करने के बाद नजदीक के सरकारी अस्पताल या निजी क्लिनिक जाकर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। एंटी रेबीज सूई यथाशीघ्र लें।
डॉ. आरएन प्रसाद