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गोवाई नदी के पानी ने बदली जिंदगानी

बोकारो : नदी के किनारे गांव होने के बावजूद पीने के पानी की समस्या झेलनेवाले मोदीडीह के लोगों की आज आ

By Edited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 05:56 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 05:56 PM (IST)

बोकारो : नदी के किनारे गांव होने के बावजूद पीने के पानी की समस्या झेलनेवाले मोदीडीह के लोगों की आज आसानी से प्यास बुझ रही है। इसके लिए न तो किसी सरकारी मशीनरी ने साथ दिया और न ही किसी बड़े तकनीकी संस्थान की मदद ली गई। आठ वर्ष पूर्व गांव में पानी की काफी कमी हुई तो लोग घरेलू काम के लिए नदी के किनारे चुआं बनाकर काम चलाने लगे।

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रंग लाया सामूहिक प्रयास : तभी गांव में सब्जी की खेती करनेवाले दिलजान मोदी सहित कुछ लोगों के दिमाग में यह बात आयी कि क्यों न गर्मी के समय नदी के पानी को रोक दिया जाए। उनलोगों ने सीमेंट की बोरी में बालू भरकर पूरी नदी में दो फीट ऊंचा मेढ़ बना दिया। इसका तत्काल लाभ यह हुआ कि गांव के पशुओं को पीने के लिए पानी की कमी दूर हो गई और नदी के किनारे के जो भी कूप सूख गए थे, उनमें थोड़ा बहुत पानी आ गया।

दूर हुआ जलसंकट : इससे ग्रामीणों में उत्साह का संचार हुआ, लेकिन वर्षा में बोरे बह गए। फिर दूसरे वर्ष यह काम किया गया। इस वर्ष मेढ़ की ऊंचाई बढ़ाई गई और जल संग्रहण क्षेत्र से ही बालू का उठाव किया गया। इसका परिणाम और अच्छा निकला। तब से प्रत्येक वर्ष यह काम किया जाने लगा। वर्षा समाप्त होने के बाद दीपावली के समय जब नदी में पानी की धारा कम हो जाती है तो गांववाले बोरा में बालू भरकर नदी को बांध देते हैं। इससे नदी किनारे के गांव में पानी की समस्या दूर होने लगी। यह प्रक्रिया आज भी जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि इससे वर्षाजल का संचयन तो होता ही है, आसपास के जलस्रोत का स्तर भी बढ़ जाता है।

लहलहा उठे खेत : मोदीडीह गांव में ज्यादातर मोदी परिवार है। उनका मुख्य पेशा खेती-किसानी है। वेलोग नदी के पानी से सब्जी की खेती भी करते हैं। जो गोवाई नदी कभी किसी भी गांव के लिए उपयोगी नहीं थी, यहां के ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से इसकी उपयोगिता बढ़ा दी। फिलहाल करीब दस एकड़ में खेती हो रही है। इससे स्वरोजगार का अवसर बढ़ा। स्थानीय बाजार में सब्जी की उपलब्धता बढ़ गई। इस काम में लगे गोराचंद मोदी, संतोष मोदी, पंचू मोदी का परिवार आज सब्जी उत्पादन पर ही आश्रित है।

50 करोड़ के चेकडैम पर भारी पड़े तीन मिट्टी के मेढ़ : चंदनकियारी में पचास करोड़ की लागत से करीब सौ से अधिक चेकडैम बने लेकिन मुट्ठीभर लोगों ने मिट्टी का मेढ़ बनाकर सात गांवों में व्याप्त जलसंकट को दूर कर दिया। फिलहाल मोदीडीह, कुसुमकियारी एवं घाघराटांड़ में गोवाई नदी को बांधा गया है। इससे चंदनकियारी पश्चिमी, चंदनकियारी पूर्वी, वीरखाम, मोदीडीह, घाघरागोड़ा, कुसुमकियारी, काशीटांड़ के जलस्रोतों का स्तर बढ़ गया है। अभी नदी में करीब दो किलोमीटर तक पानी है।

''सरकारी मदद के लिए दौड़ने से अच्छा है कि स्वयं प्रयास किया जाए। आसपास डीप बोर होने से कई कूप सूख गए थे। गांववालों की मदद से जो काम किया गया, उसका लाभ मिल रहा है।

दिलजान मोदी, मोदीडीह, चंदनकियारी

''ग्रामीणों की मेहनत के कारण ही यह सफल हो पाया। इस बार मेढ़ बांधने में पंचायत की ओर से भी कुछ मदद की गई ताकि बांध मजबूत रहे।

- शमशुद्दीन अंसारी, कुसुमकियारी, चंदनकियारी

''चेकडैम का निर्माण ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां कि पानी की उपलब्धता हो। गांववालों के प्रयास का नतीजा है कि यहां पानी की समस्या कम हुई। इस काम में मोदीडीह, घघराटांड़ एवं कुसुमकियारी के ग्रामीणों का विशेष योगदान है।

- मुस्लिम अंसारी, काशीटांड़, चंदनकियारी


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