कन्याओं के नृत्य से झूमते रहे श्रद्धालु
मोहनपुर (देवघर) : विश्व योगगुरु ब्रह्मालीन स्वामी सत्यानंद सरस्वती की तपोभूमि रिखिया पीठ में आयोजित
मोहनपुर (देवघर) : विश्व योगगुरु ब्रह्मालीन स्वामी सत्यानंद सरस्वती की तपोभूमि रिखिया पीठ में आयोजित सीता कल्याणम् सह शतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन मंगलवार को भी भक्तिमय माहौल बना रहा। भक्ति की अविरल धारा में देश-विदेश के श्रद्धालु गोता लगा रहे हैं। सुबह आठ बजे गुरु व शतचंडी पूजन से कार्यक्रम शुरू हुआ। इसके बाद कई धार्मिक अनुष्ठान संपादित कराए गए। रामायण पाठ, सहस्रार्चन, नृत्य दान, हवन किया गया। कन्याओं ने कीर्तन प्रस्तुत कर सभी को झूमने पर विवश कर दिया। स्वामी सत्यसंगानंद एवं स्वामी निरंजनानंद श्रद्धालुओं के साथ जमकर झूमे। कन्याओं ने हनुमान चालीसा पर नृत्य कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। लोढि़या, संथाली लेटवा, ताराबाद गांव के सैकड़ों लोगों के साथ ही सरकारी कर्मियों और पुलिस जवानों को प्रसाद दिया गया। रुद्रपुर के चंद्रशेखर रमानी, बरगच्छा के गंगाधर राय, सोनवा के जीतन पुजहर को रिक्शा, नया चितकाठ निवासी सिकंदर मंडल, लेटवा वरण के पंकज राउत, लोढि़या के अभय तुरी को ठेला जबकि बिहरोजी के बुधो यादव को गाय दी गयी।
परमगुरु ने शुरू की दान की परंपरा
इस दौरान प्रवचन करते हुए स्वामी निरंजनानंद ने कहा कि यहां दान की परंपरा परमगुरु स्वामी सत्यानंद जी ने शुरू किया है। वैसी चीजों का दान किया जाता है जिससे लोग आत्मनिर्भर हो सकें। परमहंस जी का संकल्प हरा-भरा रिखिया का था जो आज पूरा हो रहा है। कहा कि यहां के बच्चों के साथ स्वामीजी साए की तरह रहते हैं। बच्चों में कृतज्ञता होती है और कृतज्ञता मनुष्य को विनम्र बनाता है। किसी चीज की प्राप्ति के लिए भक्त बनना जरूरी है।
पीठाधीश्वरी स्वामी सत्यसंगानंद ने कहा कि हृदय का द्वार खोलने के लिए धार्मिक, आध्यात्मिक व भक्तिमय वातावरण में रहना चाहिए। कीर्तन करा हृदय का द्वार खोलना का तरीका है। कीर्तन में मंत्र व योग है। योग द्वारा मंत्रों को राग में डालना ही कीर्तन है। स्वामी जी द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम में शामिल होकर हृदय का द्वार खोल और ईश्वर के साथ तार जोड़ लें।
स्निग्धा और व्रिचर बनेंगे राम और सीता
पांच दिवसीय सीता कल्याणम् सह शतचंडी महायज्ञ के अंतिम दिन गुरुवार को राम-सीता का विवाह होगा। ओडिशा के संबलपुर अंतर्गत महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के डीजीएम एनके ओझा की पुत्री स्निग्धा पारिजात सीता और यूनाइटेड किंगडम निवासी ली वैगन व्रिचर राम बनेंगे। साथ ही दोनों जन्म-जन्मांतर के बंधन में बंध जाएंगे। स्निग्धा अपने माता-पिता के साथ रिखिया पीठ आ चुकी हैं। जागरण से बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि उनके परिवार कई वर्ष से परमगुरु से जुडे़ हैं। स्वामीजी की अपार अनुकंपा उनके जीवन पर रही है। स्निग्धा यूके में आइबीएम कंपनी में कार्यरत हैं। वहीं व्रिचर इसी कंपनी में मैनेजमेंट कंसलटेंट हैं।