बच्चे वर्ग में, पारा शिक्षक फरमा रहे नींद
मधुपुर : शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई देखने और जानने के लिए 1958 में स्थापित राजकीयकृत मध्य विद्यालय महुआडाबर काफी है। शिक्षा में सुधार के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे तमाम दावे यहां दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। हैरानी की बात है कि इस विद्यालय का संचालन बिना सचिव के ही एक साल से हो रहा है। सचिव नहीं रहने के कारण विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन नहीं हो पाया। एक साल से एमडीएम बंद है। छात्रवृत्ति की राशि दो साल से पड़ी हुई है लेकिन विवाद के कारण वितरण नहीं हो सका। एमडीएम की राशि भी उपलब्ध है पर इस पर किसी का ध्यान नहीं।
सोमवार को दिन के 11:20 बजे जब इस विद्यालय का मुआयना किया गया तो स्थिति देखकर सभी भौंचक रह गए। विद्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था। नीचे के सभी कमरे पर ताला लटक रहा था। ऊपर के तल पर एक पारा शिक्षक बेंच पर गहरी नींद में सोए हुए थे, जबकि पारा शिक्षक मनोज राय कुर्सी पर बैठे रजिस्टर देख रहे थे। एक कमरे में महज नौ छात्र-छात्राओं को एक पारा शिक्षक पढ़ा रहे थे। इसमें कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चे शामिल थे। विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 527 है।
पूछने पर शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय में पांच पारा व दो सरकारी शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें सदन मोहन पाठक प्राथमिक विद्यालय बड़वाद में प्रतिनियोजित हैं। सरकार के प्रधान सचिव ने सात मई को शिक्षकों के प्रतिनियोजन को समाप्त कर मूल स्कूल में योगदान करने का निर्देश सभी जिला शिक्षा अधीक्षक व बीईईओ को दिया गया था। लेकिन निर्देश फाइलों में सिमटकर रह गया। विद्यालय में वर्षो से ग्रामीणों के साथ विवाद के कारण एक अन्य सरकारी शिक्षक सचिव के पदभार लेना नहीं चाहते। इसके पूर्व पाठक ही सचिव थे लेकिन विवाद के कारण उन्हें दूसरे विद्यालय में प्रतिनियोजित कर दिया गया। पूछने पर बताया गया कि दो अन्य पारा शिक्षक अवकाश पर हैं। विद्यालय में मौजूद कक्षा छठी की छात्रा मधु कुमारी, रूपा कुमारी, ऋषभ कुमार सिन्हा, मो. मंजूर अंसारी, कक्षा आठवीं के विशाल कुमार, सलाहउद्दीन अंसारी, सातवीं के सिकेंद्र कुमार दास, तीसरी के नीरज कुमार आदि ने बताया कि एक साल से एमडीएम बंद है। पोशाक नहीं मिली है। छात्रवृत्ति एक साल से नहीं मिली है। आज की तरह की बच्चों की उपस्थिति रहती है। किसी दिन 30 तो किसी दिन 50 भी रहता है।
पदस्थापित सहायक सरकारी शिक्षक ही प्रधानाध्यापक हैं। अगर वे अपने को प्रधानाध्यापक नहीं कहते हैं तो सारे मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। विद्यालय की तमाम गतिविधियों की जांच कराई जाएगी। शिक्षकों का प्रतिनियोजन समाप्त कर दिया गया है। मूल विद्यालय में योगदान नहीं करनेवाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सुधांशु शेखर मेहता
जिला शिक्षा अधीक्षक
बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहना गंभीर बात है। पूरे मामले की जांच स्वयं करेंगे और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एमडीएम, छात्रवृत्ति, पोशाक वितरण संबंधी मामलों की जांच की जाएगी।
माया शंकर मिश्रा
बीईईओ, मधुपुर