बारिश व ओलावृष्टि की मार, किसान और हुए लाचार
चतरा : किसानों की उम्मीदों पर एक फिर बारिश और ओलावृष्टि ने पानी फेर दिया। शुक्रवार को हुई बेमौसम ब
चतरा : किसानों की उम्मीदों पर एक फिर बारिश और ओलावृष्टि ने पानी फेर दिया। शुक्रवार को हुई बेमौसम बरसात ने आम के साथ-साथ रबी के बचे फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। इस वर्ष शुरू से ही मौसम का मिजाज बदला बदला हुआ है। गर्मी का महीना वैशाख में भादो का नजारा देखने को मिल रहा है। हर चार से पांच दिनों पर बारिश के साथ ओलावृष्टि हो रही है। बारिश व ओलावृष्टि से किसान तंग और तबाह हो चुके हैं। एक अनुमान के तहत दो हजार एकड़ में लगी रबी की फसलों के साथ गर्मा साग-सब्जियां बारिश व ओलावृष्टि की भेंट चढ़ चुकी है। जिससे किसानों की कमर टूट गई है। प्राकृतिक आपदा से पिछले एक महीना में यह पांचवीं बार किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं, अरहर, चना, टमाटर, आम, महुआ एवं गर्मा फसलों को काफी नुकसान हुआ है। शुक्रवार की सुबह से ही मौसम का मिजाज बदला हुआ था। दोपहर के दो बजे तक बादल और धूप के बीच लुका -छिपी का खेल होते रहा। उसके बाद अचानक आसमान में छाया बदल गहरा हो गया और तेज हवा के साथ बारिश की बौछार पड़ने लगी। जिसमें कुछ क्षेत्रों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई, तो कहीं तेज हवा के साथ सिर्फ झमाझम बारिश। कृषि विज्ञान केंद्र के जिला समन्वयक डा. रंजय कुमार सिंह का कहना है कि वैशाख के महीना में हर चार से पांच दिनों में बारिश और ओलावृष्टि होना खरीफ के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने बताया कि जब तक जमीन पूरी तरह से तपेगी नहीं, तब तक अच्छी फसल की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वैसे भी इस वर्ष मानसून कमजोर रहने की उम्मीद कृषि वैज्ञानिकों ने जताई है। ऐसे में जब तक जमीन पूरी तरह से नहीं तपती है, तब तक बेहतर खेती संभव नहीं है।