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सुपूर्द-ए-खाक हुए हजरत मौलाना जुल्फेकार

जुलकर नैन, चतरा : झारखंड, बिहार व उड़ीसा तबलीगी जमात के चीफ और महान सूफी संत हजरत मौलाना जुल्फेकार अह

By Edited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 05:54 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2015 05:54 PM (IST)
सुपूर्द-ए-खाक हुए हजरत मौलाना जुल्फेकार

जुलकर नैन, चतरा : झारखंड, बिहार व उड़ीसा तबलीगी जमात के चीफ और महान सूफी संत हजरत मौलाना जुल्फेकार अहमद को बुधवार की दोपहर नमाज-ए-जोहर सुपूर्द-ए-खाक कर दिया गया। आंखों में आंसू और जुबान पर कलमा के साथ लोगों ने उन्हें स्थानीय कब्रिस्तान मस्जिद में सुपूर्द-ए-खाक किया। इससे पूर्व सदर प्रखंड के जयपुर पंचायत के एक विशाल मैदान में नमाज-ए-जनाजा अदा की गई। इसमें करीब डेढ़ लाख लोगों ने शिरकत की। जनाजा की नमाज उनके तीसरे पुत्र हाफीज मौलाना हसनैन ने पढ़ाई। नमाज-ए-जनाजा में स्थानीय लोगों के अलावा झारखंड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों के लोगों ने शिरकत की। इससे पूर्व हजरत के पार्थिव शरीर को जियारत (अंतिम दर्शन) के लिए खानकाह मस्जिद में रखा गया। उसके बाद जनाजा को उनके घर पर लाया गया और फिर अरबी कालेज ले जाया गया। जियारत को लेकर रात के बारह बजे से ही हजारों की भीड़ जमी रही। हजरत जी के वफात (निधन) को लेकर शहर के सभी मस्जिदों में जोहर की नमाज दोपहर के एक बजे अदा की गई। भीड़ का अंदाजा महज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अरबी कालेज से लेकर नमाज-ए-जनाजा स्थल तक करीब दो मीटर जन सैलाब उमड़ हुआ था। मालूम हो कि हजरत जी की वफात (निधन) मंगलवार को जमशेदपुर में हुआ था। स्थानीय लाइन मोहल्ला निवासी हजरत मौलाना की ख्याति न सिर्फ भारत बल्कि दूसरे देशों में है। यही वजह है कि उनकी वफात की खबर मिलते ही न सिर्फ चतरा, बल्कि राज्य के अन्य क्षेत्रों के लोग यहां पहुंचने लगे। मध्य रात्रि को साढ़े बारह बजे उनका जनाजा चतरा आया और लोगों की जियारत के लिए खानकाह मस्जिद में रखा गया। 76 वर्षीय हजरत जी के इंतकाल से मुस्लिम समाज के साथ-साथ उन्हें जाने वाले दूसरे धर्म के लोग भी काफी मर्माहत हैं।

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तीसरे पुत्र को मिली खेलाफत

हजरत मौलाना जुल्फेकार अहमद की वफात के बाद उनकी खेलाफत (प्रतिनिधित्व) तीसरे शहबजादा हाफीज मौलाना हसनैन को सौंपा गया है। हजरत मौलाना के चार बेटे व पांच बेटियां हैं। जिसमें सभी बेटियों और एक बेटे की शादी हो चुकी है। हजरत जी के प्रतिनिधि को लेकर सुबह में खानकाह मस्जिद में एक नसीस्त हुई। जिसमें आम राय से उनके तीसरे शहबजादे मौलाना हसनैन को प्रतिनिधित्व सौंपने का फैसला किया गया।


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