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हाथियों के आतंक से ग्रामीणों में दहशत

चतरा : जिले में हाथियों का आतंक निरंतर बढ़ता जा रहा है। पिछले दस दिनों के भीतर इन जंगली हाथियों ने

By Edited By: Published: Sun, 25 Jan 2015 10:56 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jan 2015 10:56 PM (IST)
हाथियों के आतंक से ग्रामीणों में दहशत

चतरा : जिले में हाथियों का आतंक निरंतर बढ़ता जा रहा है। पिछले दस दिनों के भीतर इन जंगली हाथियों ने चार दर्जन से अधिक परिवारों को बेघर कर दिया है और सौ एकड़ से अधिक में लगी फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। गजराज के आतंक की शुरूआत टंडवा प्रखंड से हुई। जंगलों से भटके हाथियों का झूंड हजारीबाग जिला के केरेडारी प्रखंड के रास्ते टंडवा पहुंचा और उसके बाद तबाही का दौर शुरू हो गया। तीन दिनों तक टंडवा प्रखंड के विभिन्न गांवों में जमकर उत्पात मचाया। इस क्रम में प्रखंड के चार विभिन्न गांवों के डेढ़ दर्जन भवनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और आलू, टमाटर एवं दूसरे फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया। वन विभाग के प्रयास से गजराज के झूंड को खदेड़ कर प्रखंड के सीमाना से बाहर तो कर दिया, लेकिन उसके आतंक पर लगाम नहीं लगाया जा सका। दो दिनों के बाद फिर इसी प्रखंड में झूंड प्रवेश कर गया और इस बार चार भवनों को क्षतिग्रस्त किया। एक फिर से वन विभाग के अधिकारी व कर्मियों और ग्रामीणों ने मिलकर मशाल एवं डुगडुगी का सहारा लेते हुए इन गजराजों को प्रखंड के सीमा से बाहर किया। इसके बाद हाथियों को यह झूंड सिमरिया प्रखंड में प्रवेश गया। प्रखंड के पीरी पंचायत में तीन दिनों तक उत्पात मचाते रहा। स्थिति ऐसी हो गई कि पंचायत के तीन गांव के ग्रामीण तीन दिनों तक रात में सोए नहीं और मशाल एवं डुगडुगी का सहारा लेकर पहरेदारी करते रहे। बहरहाल किसी तरह से गजराजों को वहां खदेड़ा गया, तो हाथियों की झूंड दूसरे गांव में आ गया। वहां बानातरी गांव शनिवार की रात जमकर तबाही मचाई। 28 घरों की आबादी वाले इस गांव के 22 घरों के परिवारों को बेघर कर दिया है। इतना ही नहीं गांव के खेतों में लहलहा रही फसलों को बर्बाद कर दिया है। गांव के लोग सरकारी स्कूल में पनाह लिए हुए हैं। हाथियों की तबाही को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गजराज की तबाही के लिए वन विभाग जिम्मेवार है। विभागीय अधिकारी हाथियों पर अंकुश लगाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप प्रभावित गांवों हाथियों के डर से डुगडगी बजाकर एवं मशाल जलाकर रात रहे हैं।


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