पुलिसिया रणनीति के आगे पस्त दिखे नक्सली
जागरण संवाददाता, चतरा : प्रथम चरण में संपन्न हुए चतरा विधानसभा चुनाव में भाकपा माओवादी चाह कर भी कुछ
जागरण संवाददाता, चतरा : प्रथम चरण में संपन्न हुए चतरा विधानसभा चुनाव में भाकपा माओवादी चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए। नक्सलियों क रणनीति धरी की धरी रह गई जबकि पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र कुमार झा द्वारा बनाई गई रणनीति पूरी तरह सफल रही और शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हो गया। यही नहीं धुर नक्सली क्षेत्रों में लोगों ने नक्सली फरमानों और वोट बहिष्कार के पोस्टरों की परवाह किए बगैर जमकर मतदान भी किया। इससे एक बार फिर साफ हो गया कि नक्सलियों का ग्रामीणों पर सिर्फ आतंक का राज है, सुरक्षा मिलते ही वे उनकी परवाह किए बिना लोकतंत्र में ही विश्वास जताते हैं।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए इसबार प्रशासन के स्तर पर विशेष रणनीति बनाई गई। चुनाव आयोग ने इसबार नक्सली क्षेत्रों के लिए काफी संख्या में पुलिस फोर्स की व्यवस्था की थी। इतनी संख्या में पहले किसी चुनाव में यहां अर्द्धसैनिक बल तैनात नहीं किए गए थे। जैसे-जैसे यहां पर अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियां आती गई, एसपी उन्हें रणनीतिक तौर चुने गए सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप करवा दिया। इसके अलावा जिला बल व सीआरपीएफ 190वीं बटालियन के जवानों से एलआरपी करवाते रहे। परिणाम यह रहा कि उग्रवादी जिला को छोड़कर सीमावर्ती क्षेत्रों में चले गए। हालांकि माओवादियों ने चुनाव में व्यवधान पहुंचाने के लिए रणनीति बनाई थी। जिसके तहत कई स्थानों पर लैंड माइंस लगाया था। लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी और समय रहते पुलिस ने उन लैंड माइंसों को बरामद कर दिया। इसका पूरा श्रेय निश्चित तौर पर एसपी को जाता है। पुलिस अधीक्षक शांतिपूर्ण एवं स्वच्छ मतदान कराने के लिए निश्चित रूप से अच्छी रणनीति बनाए। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि बगैर खून खराब व अशांति का यहां पर चुनाव संपन्न हुआ। हालांकि पिछले कुछ वर्षो से भाकपा माओवादियों के प्रभाव में कमी आई है। भाकपा माओवादी अपनी गिरती हुई साख को बचाए रखने के लिए इस बार भी चुनाव बहिष्कार का नारा दिया था। जिसके तहत जिले के विभिन्न स्थानों पर पोस्टर चिपकाया था। लेकिन माओवादियों के इस फरमान को ग्रामीणों ने पूरी तरह से नजर अंदाज करते हुए खुलकर मतदान किया।