बिखर गया राजद का एम-वाई समीकरण
चतरा : मंगलवार को संपन्न हुए चतरा विधानसभा का चुनाव परिणाम वैसे तो 23 दिसंबर को मतों की गिनती के बाद
चतरा : मंगलवार को संपन्न हुए चतरा विधानसभा का चुनाव परिणाम वैसे तो 23 दिसंबर को मतों की गिनती के बाद स्पष्ट होगा। लेकिन मतदान के दौरान यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि राजद का एम वाई समीकरण पूरी तरह से बिखर गया। ढाई दशक के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। मुसलिम और यादव वोट राजद का आधार स्तंभ माना जाता था। लेकिन इस चुनाव में इन दोनों समुदाय ने राजद को सिरे से खारिज कर दिया। मुसलमानों ने यहां पूरी एकजुटता दिखाते हुए जेवीएम के पक्ष में मतदान किया, तो वहीं यादव वोटर जेवीएम और भाजपा के पक्ष में खुलकर मतदान किया। यदि कुछ क्षेत्रों को छोड़ दें, तो यादव का वोट राजद को अपेक्षाकृत दस से पंद्रह प्रतिशत ही मिल पाया है। चतरा विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही राजद का गढ़ माना जाता था। एमवाई समीकरण के बदौलत ही राजद 1990 के चुनाव के बाद से लगातार पहला या दूसरे स्थान पर रहा है। 1995 के चुनाव में राजद प्रत्याशी जनार्दन पासवान ने भाजपा को शिकस्त देते हुए पहली बार विधायक बने थे। लेकिन 1999 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता ने राजद प्रत्याशी जनार्दन पासवान को करीब पांच हजार मतों के अंतर से पराजित किया। इसी प्रकार 2004 के चुनाव में सत्यानंद भोक्ता एक बार फिर भाजपा के टिकट से यहां से निर्वाचित हुए थे। दूसरे स्थान पर उस वक्त भी जनार्दन पासवान थे। हर जीत का अंतर साढ़े चार हजार का था। लेकिन 2009 के चुनाव में जनार्दन पासवान के पक्ष में एमवाई के साथ-साथ अन्य दूसरे वोटर भी एकजुटता दिखाई और पासवान 38 हजार से अधिक मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी सूबेदार पासवान को पराजित किए थे। चुनाव जीतने के बाद राजद विधायक पासवान ने मुसलिम एवं यादव जाति की उपेक्षा कराने लगे। यही कारण है कि मुसलिम और यादव वोट से दूर होने लगे और इस बार के चुनाव में एम वाई का समीकरण राजद से विमुख हो गया।