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चलना ही जिंदगी और रुकना सड़न है

By Edited By: Published: Sun, 28 Sep 2014 10:50 PM (IST)Updated: Sun, 28 Sep 2014 10:50 PM (IST)
चलना ही जिंदगी और रुकना सड़न है

हंटरगंज: गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है, चलना ही जिंदगी है चलती ही जा रही है। जिंदगी के फलसफा का इस महामंत्र को चरितार्थ कर रही है प्रखंड के नावाडीह पंचायत की मुखिया बसंती पन्ना। बसंती नारी सशक्तिकरण का मिसाल ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी हैं। वह कुशल कृषक भी है। इतना ही नहीं आदि जन जातियों एवं समाज के उपेक्षित अन्य समुदाय के बच्चों को निशुल्क शिक्षा भी मुहैया करा रही है। उसके नेतृत्व एवं निर्देशन में दर्जनों महिला स्वयंसेवी समूह अस्तित्व में हैं। बसंती पन्ना के कुशल नेतृत्व, निर्देश और सहयोग से सैकड़ों महिलाएं सफल हो रही है। बसंती पन्ना महिला मुक्ति संघर्ष समिति के बैनर तले दर्जनों महिलाओं को उनका खोया घर परिवार दिलाया। पति और ससुराल का हक दिलाई। शोषण दबंग से भी कई महिलाओं को मुक्ति दिला चुकी है। वह महिलाओं के बीच दीदी के नाम से भी जानी जाती है। महिला होने के बाद भी वह सफल किसान है। कृषि बागवानी, पशुपालन, जैविक खाद निर्माण में बहन बसंती को महारत हासिल है। वह पुरुष किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। पुरुष किसान भी बहन बसंती से खेती का गुर सीख रहे हैं। इसका गवाह है चेतना भारती आश्रम। जिसके चार एकड़ भूमि पर हरियाली ही हरियाली है। बहन बसंती पन्ना ने अपने भगीरथी प्रयास से पथरीली और बंजर भूमि पर सोना उगा रही है। वह किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह प्रखंड एवं जिला स्तरीय दर्जनों पुरस्कारों से नवाजे गए हैं। राज्य स्तर से भी पचास हजार रुपए का नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र मिला है। कृषि बागवानी में अनूठे प्रयास से उत्तर प्रदेश के लखनऊ में गत 19 सितंबर को आयोजित राष्ट्रीय किसान सम्मेलन में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह एवं आरसी महानिदेशक आर्यान के हाथों सम्मानित हुई हैं।


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